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________________ प्रमैयचन्द्रिका टीका श० ५ उ० ६ सू०२ धनुर्विषये निरूपणम् ४०९ वेइ, तावं चणं से पुरिसे काइयाए, जाव-चउहि किरियाहिं पुटे। जेसि पि यणं जीवाणं सरीरेहिं धणू निव्वत्तिए, तं विजीवा चउहि किरियाहिं, धणुपुटे चउहि, जीवा चउहि, हारू चउहि, उसू पंचहिं, सरे,पत्तणे, फले, पहारू पंचहि, जे विय से जविा अहे पच्चोवयमाणस्स उवग्गहे वहति, ते वि य णं ' जीवा काइयाए, जाव-पंचहि किरियाहिं पुट्टा ॥ सू० ४ ॥ छाया-अथ स इषुः आत्मनो गुरुकतया, भारिकतया, गुरुसंभारिकतया अध: विस्रसया प्रत्यवपतन् यान् प्राणान् यावत्-जीविताद् व्यपरोपयति तावच्च स पुरुषः कतिक्रियः ? गौतम ! यावच्च स इषुः आत्मनो गुरुकतया, यावत्-व्यपरोपयति, तावच्च स पुरुषः कायिक्या, यावत्-चतसृभिः क्रियाभिः स्पृष्टः, येषा (अहे णं से उसू ) इत्यादि । सूत्रार्थ-(अहे णं से उसू अप्पणो गुरुयत्ताए भारियत्ताए गुरुसंभारियत्ताए, वीससाए पच्चोवयमाणे जाइं पाणा इं जाब जीवीओ ववरोवेइ तावं च णं से पुरिसे कहाकिरिए ?) हे भदन्त ! जब वही बाण अपनी शुरुत्ता से, अपनी भारता से और अपनी गुरुता तथा संभारता दोनों से युक्त होने के कारण नीचे की और स्वाभाविक रूप से पड़ने लगता है तब वह जितने भी प्राणी यावत् उस स्थान पर होते हैं, उनको वह जीवन से रहित कर देता है ऐसी स्थिति में वह पुरुष कितनी क्रियाओं वाला माना जावेगा ? (गोयमा ! जावं च णं से उसुं अप्पणो जाव ववरोवेह, तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव " अहे ण उसू" त्याह सूत्रार्थ-“अहे ण से उसू अप्पणो गुरुयत्ताए भारित्ताए गुरूसंभारियताए, अहे वीससाए पच्चोवयमाणे जाई पाणाइं जाव जीवियोओ ववरोवेइ ताव च ण से पुरिसे कइकिरिए ?" Hera ! न्यारे ते मा तनी गुरुताथी, तेना ભારથી, તેની ગુરુતા તથા સંભારતા એ બનેથી યુક્ત હોવાને કારણે નીચેની દિશાએ સ્વાભાવિક રીતે પડવા માંડે ત્યારે તે તેના માર્ગમાં આવતાં પ્રાણેને, ભૂતને, જીવન અને સને પ્રાણથી રહિત કરી નાખવા પર્યન્તની ક્રિયાઓ કરે છે એવી પરિસ્થિતિમાં તે ધનુર્ધારીને કેટલી ક્રિયાઓથી યુક્ત માનવે જોઈએ? “गोयमा ! जाव' च ण से उसु अप्पणो जाव ववरोवेइ, ताव च णसे पुरिसे काइयाए जाव चाहि किरिया हि पुठे" हे गौतम न्यां सुधीत मा तना भ० ५२
SR No.009314
Book TitleBhagwati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year
Total Pages1151
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size74 MB
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