SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 408
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अमेयचन्द्रिका टीका श०५३०६सू०२ गृहपतिभाण्डाग्निकायस्वरूपनिरूपणम् ३९१ भाडण्मुपनयेच्च' इति संग्राहयम् , तदा आरम्भिक्यादिक्रिया कस्य भवेदिति प्रश्नाशयः, भगवानाह-'एयपि जहाभंडे उवणीए तहानेयध्वं चउत्थो आलायगो' एतदपि यथा भाण्डम् उपनीतम् तथा ज्ञातव्यम्-यथा चतुर्थः आलापका, भाण्डोपनीतविषये यः चतुर्थः आलापकः उक्तः स एवात्र गृहपतिना अनुपनीतधनविपयेऽपि विज्ञेयः, तथा चानुपनीतधनविषयक आलापक एवं वोध्य:-'गाहावइस्सण भंते ! भंड विकिणमाणस्स कइए भडसाइज्जेज्जा, धणे य से अणुवणीए सिया, कइयस्स णं भंते ! ताओ घणाओ किं आरंभियाकिरिया कज्जइ ? गाहाघइस्सणं ताओ धणाओ कि आरंभिया किरिया कज्जइ ? गोयमा ! कइयस्स ताओ धणाओ हेहिल्लाओ चत्तारि किरियानो कज्जंति, मिच्छादसणकिरिया भयणाए, भंडे जाव धणे य से अणुवणीए सिया? ) हे भदन्त ! गाथापति के पास से खरीददार व्यक्ति भाण्डों की साई देकर भाण्ड ले लेंवे और उनका मूल्यरूप द्रव्य देवे नहीं तो ऐसी स्थिति में आरंभिकी क्रिया वगैरह किस को लगेंगी? इसके उत्तर में प्रभु गौतम से कहते हैं कि (गोयमा) हे गौतम ! (एयंपि जहा भंडे उवणीए तहा नेयव्वं चउत्थो आलावगो) चौथा आलापक भाण्डोपनीत के विषय में कहागया है, वही आलापक यहां पर भी गृहपति द्वारा अप्राप्त धन के विषय में भी जान लेना चाहिये-वह इस प्रकार से-(गाहावइस्स णं भंते ! भंड विक्किणमाणस्स कइए भंडं साइज्जेज्जा, धणे य से-अगुवणोए सियो कइयस्सणं भंते ! ताओ धणाओ किं आरंभिया किरिया कजइ गाहावइयस्स णं ताओ धणाओ किं आरंभिया किरिया कज्जह? गोयमा ! कइयस्त ताओ धणाओ हैहिल्लाओ चत्तारि किरियाओ कज्जंકઈ વ્યક્તિ બાનાની રકમ આપીને વાસણે વેચનાર પાસેથી વાસણ પિતાને ત્યાં લઈ જાય, પણ તે વાસણના મૂલ્યના પૈસા ચુકવે નહી, તે એવી પરિ. સ્થિતિમાં આરંભિકી આદિ ક્રિયાઓ કેને લાગશે ? ખરીદનારને કે વેચનારને ? उत्तर--(गोयमा!) गौतम ! (एवं पि जहा भंडे उवणीए तहा नेयव्वं चउत्यो आलावगो) मांडापनीतना विषयमा पास। या द्वारा तन त्यांs જવાના વિષયમાં જે ચોથે આલાપક કહેવામાં આવે છે, તે અહી પણ ગ્રહણ કરવો જોઈએ. તે આલાપકને મૂત્રપાઠ નીચે પ્રમાણે છે – . (गाहावइस्स ण भंते ! भंड विक्किणमाणस्स कइए भाडे साइज्जेज्जा धणे य से अणुवणीए सिया कइयरस ण भते । ताओ धणाओ किं आरमिया किरिया कज्जइ ? गाहावइस्सण ताओ धणाओ किं आर भिवा किरिया कज्जद १ गोयमा! कायस्स तोओ धणाओ हेद्रिल्लाओ चत्तारि किरियाओ कन्जंति मिच्छादसणवत्तिया
SR No.009314
Book TitleBhagwati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year
Total Pages1151
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size74 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy