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________________ प्रेमैयचन्द्रिका टीका शे० ५ उ० ४ १० १६ चतुर्दशपूर्वधरशक्तिनिरूपणम् ३३५ ताई दवाइं उकरिया भेएणं भिजमाणाई, लद्धाई, पत्ताई अभिसमण्णा गयाइं भवंति, से तेणट्रेणंजाव-उवदंसेत्तए, सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति" ।। सू० १६ ॥ पंचभसए चउत्थो. उद्देसो समत्तो ॥ ५-४ ॥ • छाया-प्रभुः खलु भदन्त ! चतुर्दशपूर्वी घटात् घटसहस्रम् , पटात् पटसहस्रम् , कटात कटसहस्रम् , रथात् रथसहस्रम् , छत्रात् छत्रसहस्रम् दण्डात् दण्डसहस्रम् अभिनिवयं उपदर्शयितुम् ? । हन्त, प्रभुः । तत् केनार्थेन प्रभुः चतुर्दशपूर्वी यावत् । -उपदर्शयितुम् ? । गौतम ! चतुर्दशपूर्विणः अनन्तानि द्रव्याणि उत्करिकाभेदेन , 'पभू णं भंते !' इत्यादि सूत्रार्थ-(पभू णं भंते! चोइसपुव्वी घडाओ घडसहस्स पडाओ पडसहस्सं, कडाओ कडसहस्सं, रहाओ रहसहस्सं छत्ताओ छत्तसहस्सं दंडाओ दडसहस्सं अभिनिव्वदे॒त्ता उवदंसेत्तए) हे भदन्त ! चौदह पूर्वधारी मनुष्य-श्रुतकेवली-एक घड़े में से हजारों घड़ों को, एक वस्त्रसे हजारों वस्त्रों को एक कट-चटाई-से हजारों चटाईयों को, एक रथ से हजारौं रथों को, एक छत्रसे हजारों छत्रों को, और एक दण्ड से हजारों दण्डों को बनाकर के क्या दिखा सकता है ? (हंता पभू) हां गौतम ! दिखा सकता है। (से केणटेणं पभू चउद्दसपुब्वी जाव उबदसेत्तए १)हे भदन्त ! ऐसा आप किस कारण से कहते हैं कि चौदह पूर्वधारीश्रुत केवली-यावत् दिखा सकता है ? (गोयमा ! चउद्दसपुग्विस्स णं अणनाइं दवाई उक्करियाभेएणं भिज्जमाणाईलद्धाइं पत्ताई अभिसमण्णा (पभूण भंते ! ) त्या सूत्रा--(पभूण भंते ! चोदनपुवी घडाओ घडसहस्स, पडाओ पडसहस्स, कडाओ कडसहस्स', रहाओ रहसहस्सं, छचाओ छत्तसहस्सं दंडाओ दंडसहस्सं अभिनिव्वदे॒त्ता उवदसेत्तए ) 3 Grld! यो पूर्वधारी मनुष्य-श्रुतपणी-मेघा માંથી હજાર ઘડાનું એક હજાર વસ્ત્રમાંથી હજાર વસ્ત્રનું એક ચટાઈમાંથી હજાર ચટાઈનું, એક રથમાંથી હજાર રથનું, એક છત્રમાંથી હજાર છત્રનું અને એક દંડમાંથી હજાર દંડનું નિર્માણ કરી બતાવવાને શું સમર્થ હોય છે? (हता पभू) , गौतम म ४२वाने समय डाय छे. ( से केणद्वेण पभ पउद्दसपुवा जाव उवद सेत्तए ?) महन्त ! मा५ । २0 मे ४४। છે કે ચૌદ પૂર્વ ધારી-ગ્રુતકેવલીએ પ્રમાણે કરી બતાવવાને સમર્થ હેલ્થ છે? (गोयमा। चउद्दसविस्स अण'ताई व्वाई उक्करियाभेएणं भिन्न-'
SR No.009314
Book TitleBhagwati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year
Total Pages1151
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size74 MB
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