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________________ prefer टीका श० ६ उ०५ सू०३ लोकान्तिकदेवविमानादिनिरू० ११२१ तिस्रस्तिस्रपरिषदः, सप्तमप्तानीकानि, सप्त सप्तचानीकाधिपतयः पोडश - पोडशसहस्रपरिमिता आत्मरक्षकदेवाः अन्येऽपि च बहवो लोकान्तिका देवाः परिवारतया प्रोक्ताः, इत्यादिवर्णनं लभ्यते तच्च सामान्यपरिवारतया प्रोक्तम् । इह विशेष - रूपतया कथितमिति बोध्यम् ' ? " गौतमः पृच्छति - ' लोगंतियविमाणा णं भंते! किंपइडिया पण्णत्ता ? हे भदन्त ! लोकान्तिकविमानानि किंप्रतिष्ठितानि कस्मिन् आधारे प्रतिष्ठितानि स्थितानि प्रज्ञप्तानि ? भगवानाह - ' गोयमा ! वाउपइडिया पण्णत्ता ' हे गौतम ! लोकान्तिकविमानानि वायुप्रतिष्ठितानि वायोराधारेणस्थितानि सन्ति । ' एवं यव्वं विमाणाणं पट्टाणं, बाहुल्लुच्चत्तमेव संठाणं ' एवम् अनेन प्रकारेण सात सात अनीक, अनीकाधिप, १६ - १६ हजार आत्मरक्षक देव, तथा और भी बहुत से लोकान्तिक देव परिवाररूप से कहे गये हैं लो इत्यादि यह सब वर्णन सामान्यरूप से किया गया है ऐसा जानना चाहिये- - तथा यहां जो वर्णन किया गया है वह विशेष रूप से किया गया है - ऐसा समझना चाहिये । अब गौतम प्रभु से पूछते हैं कि (लोगंतिय विमाणाणं भंते । किं पट्टिया पण्णत्ता ) हे भदन्त ! लोकान्तिक देवों के जो विमान हैं वे आधार सहित हैं कि बिना आधार के हैं ? यदि आधार सहित हैं तो इनका क्या आधार है ? अर्थात् किस आधाररूप पदार्थ पर ये प्रतिष्ठित हैं ? उत्तर में प्रभु कहते हैं कि - (गोधमा ! ) हे गौतम! (वाउपडिया पण्णत्ता) ये लोकान्त देवों के विमान साधार हैं और इनका आधाररूप पदार्थ वायु कहा गया है । अर्थात् वायु के आधार से प्रतिष्ठित हैं । ( एवं ૧૬-૧૬ હજાર આત્મરક્ષક દેવા તથા ખીજા પણ અનેક દેવેને પરિવાર કહ્યો છે. પણ તે સમસ્ત વર્ણન સામાન્ય રૂપે કરેલું સમજવું અહીં જે વર્ણન કરવામાં આવ્યુ છે, તે વિશેષ રૂપે કરવામાં આવ્યું છે તેમ સમજવું. हवे गौतम स्वाभी भहावीर प्रभुने भेवो अश्न पूछे छे - " लोगंतिय विमाणाण भंते! कि पइट्टिया पण्णत्ता ? " हे लह-1 ! बोअन्तिः देवानां વિમાના છે તે આધાર સહિત છે કે આધાર રહિત છે? જો તેઓ આધાર સહિત હાય તેા તેઓ કયા પદાર્થીના આધારે રહેલાં છે ? तेन वा भापता महावीर अलु हे छे -" गोयमा ! " हे गौतम! “वाउपइट्टिया पणत्ता " ते बोअन्ति देवानां विभाना आधारयुक्त छे भने તેમના આધાર રૂપ પદાર્થ વાયુ કહ્યો છે, એટલે કે તેઓ વાયુને આધારે ㄓ १४१
SR No.009314
Book TitleBhagwati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year
Total Pages1151
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size74 MB
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