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________________ प्रमेयचन्द्रिका टीकाश०६ उ०५ सू०३ कृष्णराजीस्वरूपनिरूपणम् ११०३ परिक्षोभहेतुत्वात् 'देवपरिक्षोमा' इति नाम ८, इत्यष्टौ नामानि भवन्ति । गौतमः पृच्छति-' कण्हराईओ णं भंते ! किं पुढवीपरिणामाओ, आउपरिणामाओ, जीव परिणामाओ, पोग्गलपरिणामाओ ? ' हे भदन्त ! कृष्णराजयः खलु किम् पृथिवीपरिणामाः ? अथवा अप्परिणामाः ? जलपरिणामाः ? उताहो जीवपरिणामाः ? अथवा पुद्गलपरिणामाः भवन्ति ? भगवानाह-'गोयमा ! पुढवीपरिणामाओ, हे' गौतम ! कृष्णराजयः पृथिवीपरिणामाः सन्ति, एवम् 'जीवपरिणामामो वि' जीवपरिणामाः अपि सन्ति, तथा ' पोग्गलपरिणामाओ वि, पुद्गलपरिणामाः अपि सन्ति, किन्तु 'णो आउपरिणामाओ' नो अप्परिणामाः कृष्णराजयो भवन्ति । गौतमः पृच्छति-' कण्हाईसु णं भंते ! सव्वे पाणा, भूया, जीवा, सत्ता उववण्णपुन्या ' हे भदन्त ! कृष्णराजिषु सर्वे प्राणाः, भूताः, जीवाः, सत्त्वाः, किम् ___ अब गौतमस्वामी पूछते हैं कि-(कण्हराईओ णं भंते ! किं पुढवी परिणामाओ, आउपरिणामाओ, जीवपरिणामाओ, पोग्गलपरिणामाओ) हे भदन्त ! ये कृष्णराजियां किस के परिणामरूप हैं-क्या पृथिवी के ये परिणामरूप हैं ? या जलके परिणामरूप हैं ? या जीव के परिणामरूप हैं ? या पुद्गल के परिणामरूप हैं ? इसके उत्तर में प्रभु उनसे कहते हैं(गोयमा) हे गौतम! (पुनविपरिणामाओ) ये कृष्णराजियां पृथिवी के परिणामरूप हैं, (जीवपरिणामाओ वि) जीव के परिणामरूप भी हैं। तथा (पोग्गलपरिणामाओ वि) पुनल के परिणामरूप भी हैं। परन्तु ये कृष्णराजियां (जो आउपरिणामाओ) जल के परिणामरूप नहीं हैं । अब गौतमस्वामी प्रभु से ऐसा पूछते हैं कि-(कण्हराईसुणं भंते ! सव्वे पाणा, भूया, जीवा, सत्ता, उववण्णपुवा) हे भदन्त ! इन कृष्णराजियां व गौतम स्वामी महापौर प्रभुने मेवा प्रश्न ४रे छ ( कण्हराई'ओ ण' भते ! किं पुढवी परिणामांओ, आठ परिणामाओ, जीव परिणामाओ, पोग्गल परिणामाओ १) महन्त ! निशा न परिणाम. ३५ छ-शुतमा પૃથ્વીના પરિણામ રૂપ છે? કે જળના પરિણામ રૂપ છે? કે જીવના પરિણામ રૂપ છે? કે પુલના પરિણામ રૂપ છે ? तेना उत्तर भापता महावीर प्रभु गौतम स्वामीन ४ छ है (गोयमा । हे गौतम । ( पुढवि परिणामाओ) ते लिया पृथ्वीना परिणाम ३५ छ, (जीव परिणामाओ वि) पना परिणाम ३५ छे, (पोगालपरिणामाओ वि) भने पुरसना परिणाम ३५ ५ छ, परन्तु ते. (आउ परिणामाओ) જળના પરિણામ રૂપ નથી. .. गौतम स्वामी महावीर प्रभुने मेवेप्रश्न पूछे छे है (कण्हराईसुण
SR No.009314
Book TitleBhagwati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year
Total Pages1151
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size74 MB
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