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________________ ममेयचन्द्रिका टी श ३३ ७२ १ शक्रस्य सोमादिलोफपालस्वरूपनिरूपणम् ७६७ किश्चिदविशेषाधिकानि परिक्षेपेण प्रसप्तम, या सूर्यामविमानस्य वक्तभ्यता साँ अपरिशेपा मणितन्या, यावत्-अभिषेक , नवरम्-सोमोदेव , सन्ध्याममस्य महाविमानस्य अध सपक्षम्, समतिदिनम्, असख्येयानि योजनानि भवगाय अत्र शक्रस्य देवेन्द्रस्य देवराजस्य सोमस्य महाराजस्य सोमानाम राजधानी पम्नप्ता-एक योजनशतसहस्रम् आयामविष्कम्भेण जम्बूद्वीपममाणा, वैमानि विसेसाहिए परिक्खेवेण पण्णत्ते) इस विमानकी लपाई और चौडाई साडे बारहलास्खयोजनकी है इसका घिराव-परिधि-उनचालीसलाख, पावनष्ठजार आठसौ अड़तालीस योजन से भी कुछ अधिक है। (जा सूरियाभविमाणम्स वतन्वया, सा अपरिसेसा भाणियन्वा जाप अमिसेओ) इस विषय में सूर्याभदेव की विमानयक्तव्यताकी तरह ममस्त वक्तव्यता-कथन यावत् अभिपेकतक जाननी चाहिये । (नवर सोमो देवो, सझप्पमस्स ण महाविमाणस्म अहे, सपविख, सपडि दिसिं असखेजाइ जोयणाष्ठ ओगाहिला एस्थ णं सफम्स देविंदस्स देव रपणो मोमस्स महारणो सोमा णाम रायहाणी पण्णत्ता) उस वक्तव्यता और इस वक्तव्यतामें केवल इतनी ही विशेषता है कि सूर्यामदेवके पदले यहाँपर सोमदेव कहना चाहिये । सध्यामम महाविमान के नीचे धारों दिशाओं में और चारों विदिशाओंमें असख्यात योजन जाकर ठीक इसी स्थान पर देवन्द्र देवराज शक्रके सोम महाराजकी सोमा नामकी राजधानी है । (एग जोपणसहस्स आयामधिवखंमेण जपदीय फ्खेषेण पष्णते) मा विमानन मा भने प018 सा भार वाम योजननी छ भने तना घेराव (परि५) ३६५२८४८ यातना पशु पधारे थे ( ना भूरियाम विमाणस्स वत्तव्यया, सा अपरिसेसा भाणियन्वा जाव अभिसेओ) मा વિષયનું સમસ્ત કથન સૂર્યાભદેવ વિમાન પ્રમાણે જ સમજવું અભિષેક પર્યન્તનું समस्त ४५न ही A8 2 (नवर सोमो देवो, समप्पमस्स ण, महाविमाणस्स अहे, सपविस्व, सपडिदिसिं असखेजा जोयणाइ भोगोहिला एस्य ण सफास्स देविदस्स देवरणो सोमस्स महारणो सोमा णाम रायहाणी पण्णत्ता) ते वर्षमा ન્ય સૂક્ષભદેવ આવે છે ત્યા “મદેવ' શબ્દ વાપરે. સખાપ્રભ વિમાનની નીચે ચારે દિશાઓમાં અને ચારે વિદિશાઓમાં (પૂણામાં) અલખ્યાત જન જતાં રેવેન્દ્ર, દેવરાજ શાના લેપાલ સેમ મહારાજની સોમા નામની રાજધાની આવે છે (एग नोयणसयसहस्स मायामविक्खमेण जीवप्पमाणा घेमाणियाण पमाणस्स
SR No.009313
Book TitleBhagwati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size37 MB
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