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________________ - - - - - - - ७४८ भगरतीय भंते !' हे भदन्त ! स अमायी अनगारः 'कि तहाभा' किं तथामावम 'जाणइ, पासइ' जानाति, पश्यति ? अष्णदामा अन्यथाभावम् 'जाण: पासा' जानाति, पश्यति ? भगवानार-गोगमा ! 'तहाभा' तथाभावम् 'जाणा, पासई' नानाति, पश्यत्ति, 'नो अण्णहामा' नो अन्यथामायम् 'जाणड, पासई' जानाति पश्यति । गौतमस्तक हेतु पृच्छति-'से कंगटेणं! तत् केनार्थेन ? हे भदन्त ! कथं स अनगार: ययार्थरूपेणेव पश्यति, नो अयथार्थरूपेण ? भगवानार-'गोयमा ' हे गौतम ! 'तम्स एवं भवई' तस्य खलु अमायिनीऽनगारस्य एवम् वक्ष्यमाणप्रकारम् यथाज्ञानं भवंति यत 'नो खलु एस राय गिद्दे णेयरे' नो खल 'एतद राजगृह नगरम्, 'यो खलु एस वाणारसी नयरी' अनगार 'कि तहाभा जाणइ पामह, अन्नहाभावं जाणइ पासइ' क्या तथाभावसे जानता देखता है कि अन्यथाभावसे जानता देखता है? इसका उत्तर देते हुए प्रभु गौतमसे कहते है कि 'गायमा हे गौतम ! वह अनगार 'तहाभा जाणापासह तथाभावसे जानता देखता है, 'नो अन्नहाभाव जाणइपासह अन्यधाभावसे जानता देखता नहीं है। 'से केपटेणं एवं पचह' है भदन्त आप ऐसा किस कारण से कहते है कि वह अमायी सम्यग्दृष्टि अनगार तथाभावसे जानता देखता हैं, अन्यथाभावसे नहीं जानता देखता है। इस प्रश्नका समाधान करते हुए प्रभु गौतमसे कहते हैं 'गोयमा' हे गौतम ! 'तस्स णं एवं भवई उसकी अमायी अनगार की विचारधारो ऐसी रहती है कि'नो खलु एस रायगिहे नगरे, जो खलु एस वाणारसी नयरी' न तो यह राजगृह नगर है, और न यह चाणारसी नगरी है 'नो खलु एस अंतरा एगे जणवयघग्गे' न यह एक विशाल जनपदसमूह ...'से भंते ! -11 शु ते समायी, सभ्यष्टि मगार 'किं तहाभाव जाणइ पासड, अन्नहाभाव जाणई पास तेने यथार्थ इथे त દેખે છે, કે વિપરીતરૂપે જાણે દેખે છે? उत्तर-'तहाभाव जाणई, पासइ, नो अण्णहाभावं जाणइ पास' હે ગોતમ ! તે અણગાર તેને યથાર્થરૂપે જાણે દેખે છે, વિપરીતરૂપે જાણતો દેખાતો નથી. ____ न-से केणदेणं' त्या महन्त ! ५ at d हो । તે અમથી, સમ્યગ્દષ્ટિ, ભાવિતાત્મા અણગાર તેને યથાર્થરૂપે જાણે દેખે છે-અયથાર્થ રૂપે જાણતો દેખાતો નથી? BR-गोयमा 13 गौतम ! 'तस्स एवं भव' ना भनभा । भारती विपरीत लिया२धा या छ-'नो खलु,एस रायगिहे नयरे, जो खलु एस चाणारसी नयरी, नो खलु एस अंतरा एगे जणवयवग्गे? 240 - -
SR No.009313
Book TitleBhagwati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size37 MB
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