SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 846
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ___६४८ ममवतीबणे से भंते ! कि माई विकृवइ ? अमाई विकुछह ? गोयमा ! माई विकुर्वइ, नो अमाई विकुवइ, से केणटणं भंते ! एवं बुचइ, जात्र -नो अमाई विकृवाइ ! गोयमा ! माई णं पणीअं पाण-भोयर्ण भोचा भोच्चा वामेइ, तस्सणं तेणं पणीएणं पाण-भोयणेणं अद्विमिजा बहली भवंति, पयणुए मंस-सोगिए भवह, जे विय से अहावायरा पोग्गला ते विय से परिणमंति,तं जहा-सोई दियत्ताए, जाव-फासिदियत्ताए, अद्वि-अद्विमिज-केस-मंसु-रोमनहत्ताए, सुकत्ताए, सोणियत्ताए, अमायी णं लूहं पाण-भोयणं भोच्चा भोच्चा णो वामेइ, तस्सणं तेणं लूहेणं पाण-भोयणेणं अहि अद्विमिजा पयणु भवंति, बहले मंस--सोणिए, जे वि य से अहावायरा पोग्गला ते वि य से परिणमंति, तं जहा-उच्चारत्ताए, पासवणत्ताए, जाव-सोणियत्ताए, से तेणटेणं जाव-नो अमाई विकुबइ। माईणं तस्स ठाणस्स-अणालोइयपडिकते कालं करेइ, नत्थि तस्स आराहणा,अमाई णं तस्स गणस्स आलोइय पडिकंते कालं करेइं,अस्थि तस्स आराहणा, सेवं भंते सेवं भंते! त्तिासू.५। - छायां-अनगारः खलु भदन्त ! भावितात्मा वाह्यान पुद्गलान् अपर्यादाय, प्रभार पर्वतम् उल्लङ्घायितुम् वा, प्रलचयितुं वां ? गौतम ! नायमर्थः समर्थः, . :::.::. अनगरिविकुर्वणावक्तव्यतावर्णन- 'अणगारे •ण भंते भावियप्पा' इत्यादि। . ; . सूत्रार्थ-(अणगारे णं भंते ! भावियप्पा चाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू वेभार पव्वयं उल्लं घेत्तए वा.पल्लं घेत्तए वा १) हे भदन्त । T: विाि वन-- " .. .::.. - ... अणगारे णं भंते ! भावियंप्पा त्यादि.. : . . ... . : सूत्रा- (अणगारेण भंते ! भावियप्पा वाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता - - - - - - - ::.. मान
SR No.009313
Book TitleBhagwati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size37 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy