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________________ - - - - ६१६ छाया-ममुः खल भदन्त ! वायुकायः एक महत सी संवा, पुका रूपं या, इस्तिरूपं पा, पानरूपं या, एवं युग्य-गिखिल-पिक्ति-शिरिकास्पन्दमानिका रूपं या विकृवितम् ? गोवम ! नायमर्यः समर्थः, वायुकापो विकर्षमाणः एफ महत् पवाफासंस्थितं रूपं विर्यते, माः खलु मंदन्त ? वायुकाया एक मदद पताका संस्थितं रूपं विकृतिला अनेकानि योजनानि ---- ----- "क्रियवायुकाय वक्तव्यता'पमूणे मंते घाउकाए' इत्यादि । सूत्रार्थ--(भंते ! घाउकाए पुगं महं इत्थिरूव वा, पुरिसरूव वा, हत्थिरूव वा, जाणरूच चा, एवं जुग्ग, गिल्लि, घिल्लि, सीय, संदमाणिय रुचः वा, विउवित्तए णं पभू' हे भदन्त ! वायुकाय एक विशालरूपमें स्त्री के रूपको, पुरुपके रूपको, हस्तीके रूप का, यान-वाहन विशेष के रूपका, इसी प्रकारसें-युग्य-वाहन विशेषके रूपको, गिल्लि-अंबाड़ी के रूप फो, थिल्लि पलेचाके रूपको, शिपिका-पालकी के रूपको, और स्यन्दमानिका-चाहन-विशेपके रूपको अपनी विक्रिया से बनाने के लिये समर्थ है क्या ? (गोयमा णो इण? समलैं) हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं हैं। (वाउकारणं विकुल्वेमाणे एगं महं पडागासंठियं . रूवं विकुम्वइ) पर, विक्रिया करता हुआ वायुकाय एक विशालपताका के आकार जैसारूप अपनी विक्रिया से पनाता है। (पभूणे भंते ! बाउकाए एगं मई पड़ागांसंठियख्व विउवित्ता अगाई जोयणाई ठियवायुयर्नु नि३५४पभू णं भंते ! वाउकाए.'. त्याटि-: ... . . : ... . सूत्रार्थ-भंते ! वाउकाए एग महं इत्थित्वं वा, पुरिसरुवं वा, हथि रुच चा, जाणरूवं चा, एवं जुरा, गिल्लि, थिल्लि,, सीय, संदमाणियरूत्रं वा.विउवित्तए प्रभू.?.). मन्तवायुआय से विशाल श्री३५०, पुरुष३५ने, હાથીના રૂપને, ગાડાને રૂપને, યુગ્યરૂપને (એક પ્રકારનું વિશિષ્ટ વાહન), મિહિલ ‘અબડ)ના રૂપને, થિલી (ઘેડાની પીઠ પર બાંધવાનું ઈન)ના રૂપે, પાલખીને રપ અને સ્પન્ડમાનિકા (એક પ્રકારનું વાહન)ને રૂપને પિતાની વિફર્વણા શક્તિથી मेनावपाने समय छ भ३ ? (गोयमा ! णो इणट्ट समढे) गौतम ! मनी सतु नथी. (वाउकारणं विकुम्वे माणे एगं महं पडागासंठियं एवं विकुम्वई) વિડિયા કરતું વાયુકાય તેની વિમુર્વણ શક્તિથી એક વિશાળ પતાકાના આકારનાં રૂપનું सन ४३ . 'पभूणं भंते ! वाउकाए एग मई पड़ागासंठियरूवं विउव्वित्ता
SR No.009313
Book TitleBhagwati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size37 MB
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