SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 779
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मंमेयचन्द्रिकाटीका श. ३ उ.४ सू०१ क्रियाया वैचित्रज्ञानविशेपनिरूपणम् ५९९ चत्तारि भंगा! अणगारेणं भंते ! भावि अप्पा रुक्खस्स किं अन्तो पासइ, वार्हि पोसइ ? चउभंगो, एवं-किं मूलं पासइ, कंदं पासइ ? चउभंगो, मूलं पासइ, खंधं पासइ ? चउभंगो, एवं मूलेणं वीअं संजोएअवं, एवं, कंदेण वि समं संजोए अवं, जाव-वी, एवं जाव-पुफ्फेण समं वीअं संजोएअवं, अणगारेणं भंते ! भाविअप्पा रुक्खस्स किं फलं पासइ, वीअं पासइ ? चउभंगो ॥ सू० १ ॥ ___ छाया-अनगारःखल भदन्त ! भावितात्मा देवं वैक्रियसमुद्घातेन समवहतं यानरूपेण यान्तं जानाति, पश्यति ? गौतम ! अस्त्येकको देवं पश्यति, नो यानं पश्यति, अस्त्येकको यानं पश्यति, नो देवं पश्यति, अस्त्येकको देवमपि पश्यति, योनमपि पश्यति, अस्त्येकको देवं पश्यति नो यानं पश्यति __ 'अणगारे णं भंते ! भावियप्पा' इत्यादि । सूत्रार्थ-(अणगारे णं भंते ! भावियप्पा देवं वेउन्वियसमुग्घाएणं समोहयं जाणवेणं जायमाणं जाणइ, पासइ) हे भदन्त ! भावितात्मा अनगार वैक्रिय समुद्धात से समवहत हुए-युक्तहुए-एवं यानरूप से गमन करते हुए देवको क्या जान सकता है ? और देख . सकता है ? (गोयमा अत्येगईए देवं पासह, णो जाणं पासइ) हे गौतम ! कोई एक अनगार तो देव को देखता है यान को नहीं देखता है (अत्थेगईए जाणं पासइ, नो देवं पासइ) कोई एक अनगार यान को देखता है देवको नहीं देखता है (अत्थेगईए देवं पि पासइ, जाणं पि 'अणगारे णं भंते ! भवियप्पा' त्याह सूत्राथ-(अणगारे णं भंते ! भवियप्पा देवं वेउब्वियसमुग्धारणं समोहयं जाणरूवेणं जायमाणं जाणइ, पासइ) 3 महन्त ! नवितात्मा भए॥२, વૈક્રિય સમુદુઘાતથી યુક્ત થયેલા અને ત્યાનરૂપે ગમન કરતા દેવને શું જાણી શકે છે भने भी 23 छे ? (गोयमा !) 3 गौतम। (अत्थेगईए देवं पासइ, णो जाणं पासइ) | म॥२ हेवने हेथे छे, यान हेमतो नथी, ( अत्थे गइए जाणं पासइ, नो देवं पासई) l म(२ यानने हेमे छे ५५ हेक्ने हेमतो नथी,
SR No.009313
Book TitleBhagwati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size37 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy