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________________ ५६६ redie मूलम् -' से जहा नामए केड़ पुरिसे सुकं तणहत्थयं जायते असि पक्खिवेजा, से पूर्ण मंडियपुत्ता ! से सुक्के तणहस्थ जायतेअंसि पक्खित्ते समाणे खिप्पामेव मसमसाविज्जइ हंता, मसमसाविजइ । से जहानामए केद्र पुरिसे तत्तरि अयकवलंसि, उदयचिदुपक्खवेज्जा, सेणूणं मंडियपुत्ता ! ₹ उदयबिंदु तत्तंसि अयकवल्लंसि, पक्खित्ते समाणे खिप्पामे विद्धसमागच्छइ ? हंता, विद्वंसमागच्छर, से जहानामा हरए सिया, पुण्णे पुण्णप्पमाणे, बोलहमाणे, वोसहमाणे, सम भरघडत्ताए, चिटुड़, हंता चिह्न अहेणं केइ पुरिसे तंसि हरयंसि, एगं महं णावं सयास, सयच्छिदं, ओगाहेजा से पूर्ण मंडियपुत्ता ! सा नावा तेहिं आसवदारेहिं, आपूरेमाणी आपूरे. मोणी, पुण्णा, पुण्णप्पमाणा, वोलट्टमाणा, वोसहमाणा, समभरघडत्ताए चिहड़, हंता चिह्न, अहेणं केइ पुरिसे तीसे नावाए सओ समंता आसवदाराई पिहेइ, पिहित्ता णावाअस्सि चणं उदयं उस्सिचिजा, सेणूणं मंडियपुत्ता ! सा नावा तंसि उदयंसि, उस्सित्तसि समाणंसि खिप्पामेव उड्ढं उद्दाइ, हंता उदाइ । एवमेव मंडियपुत्ता ! अत्तत्ता संवुडस्स अणगारस्स ईरियासमियरस जाव-गुत्तवंभयारिस्स, आउत्तं गच्छमाणस्स आउतं चिंटूमाणस्स, आउत्तं निसीयमाणस्स आउ तुयमाणस्स आउन्तं वत्थ - पडिग्गह- कंबलपाय पुच्छणं गेहमाणस्त, णिक्खिवमाणस्स, जाव-चक्खुपह्मनिवायमवि वेमाया
SR No.009313
Book TitleBhagwati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size37 MB
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