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________________ - - - - - - ४८८ समस्येव यसस्यापि गतिविषयी जातयः फिन्त 'न' नवरम्-विशेषःपुनः 'रिमेसाहिम फायन विशेषाधिक कन्यम्, गौतमः समास्योध्योधागमन फालासपाहत्वम् पृच्छति-समस्स णं मंगे' इत्यादि । हे भगवन् ! अकस्य खलु देविंदसा देवरणो देवेन्द्रस्य देवरामस्य 'आपण कालास' अवपतन कालस्य च 'उपयणकालसस य 'उत्पननकालय प मध्ये 'कयरे' कतरः कालः फयरेरितो' फरेभ्यः कालेन्यः अप्पे या' अल्पा गा पाप या बहुको वा, तुल्ले या' तुल्पो या' गिसेसाहिए या विशेषाधिको ना? मगवाना गोयमा! हे गौतम 'गपत्यो सर्वम्तीशः सर्वतोऽन्यः 'सबकास' कस्य तहेव-नचरं विसेसाहियं काय' यसकी भी गति का विपय क्षेत्र शक की तरह से ही जानना चाहिये परन्तु जो विशेपता है वह इस प्रकार से है फि यहां विशेपाधिक का पाठ करना चाहियतात्पर्य इमका यह है कि 'यजस मंते ! उड़े अहे निरियं च गइविसयस्स कयरे फयरेहिनो अप्पा वा पहुआ था तुल्ला वा विससा. हिया वा? गोयमा! सम्वत्थो खेत्तं वज्ज अहे उप्पयह, एगेणं सम. एणं, तिरियं विसेसाहिए भागे गच्छद, उई विसेमाहिए भागे गच्छइ, . अर्थात् हे भदन्त ! वचका उर्ध्वगतिविषयक क्षेत्र, अधोगतिविषयक क्षेत्र, एवं तिर्यग्गति विपयक क्षेत्र के मध्य में से कौनसा क्षेत्र को नसे क्षेत्रकी अपेक्षा अल्प है, कौन सा ज्यादा है, कौन सा तुल्य है ओर फोनसा विशेपाधिक हे ? अमण भगवन महावीर प्रभु कहते है-हे गौतम ! वज्र एक समय में नीचे सब से कम क्षेत्र तक जाता है, तिरछे क्षेत्र में यह विशेषाधिक प्रदेशों तक जाता है, ऊंचे भी વજની ગતિનું ક્ષેત્ર પણ શકની ગતિના ક્ષેત્ર પ્રમાણે જ જાણવું. પરંતુ ત્યાં જે વિશે ષતા છે તે આ પ્રમાણે છે ત્યાં વિશેષાધિકતાને પાઠ કહેવા જોઈએ. તે પાઠ નીચે પ્રમાણે છે. वजस्स णं भंते ! उढे अहे तिरिय च गाविसयस्स कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुआ वा, तुल्ला वा, विसेसाहिया वा' महत! leta. અતિ વિષયક ક્ષેત્ર, અધોગતિ વિષયક ક્ષેત્ર અને તિર્યગતિ વિષયક ક્ષેત્રમાંથી કર્યું ક્ષેત્ર કેના કરતાં અ૯પ છે, કયું Àનાથી અધિક છે, કયું કિની બરાબર છે અને કહ્યું કેના Rai विधि छ १. सन्वत्थो खेत्तं वज्ज अहे उप्प्यइ, एगणं समएणं, तिरिय विसेसाहिए भागे गच्छइ, उडू विसेसाहिए भागे गच्छइ गीतमा જ એક સમયમાં નીચે સૌથી ઓછા ક્ષેત્ર સુધી જાય છે, તિરછા ક્ષેત્રમાં તે વિશે
SR No.009313
Book TitleBhagwati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size37 MB
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