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________________ " 5 " म. टी. श. ३. उ. २स्. १० देवानां पुद्गलमक्षेपमतिसंहरणादि निरूपणम् ४६५ अल्पचैत्र, मन्दः मन्दश्चैव वैमानिकानां देवानाम् ऊर्ध्वं गतिविषये शीघ्रं शीघ्रगतिचैव त्वरितः त्वरितगतिश्चैव, अधोगतिविषये अल्पः अल्पश्चैव यावत्कं क्षेत्र शक्रो देवेन्द्रः, देवराजः ऊर्ध्वम् उत्पतति एकेन समयेन मन्दः मन्दश्चैव दुव द्वाभ्याम्, यद्वद्वाभ्याम् तत् चमर स्त्रिभिः सर्वस्तोकं शक्रस्य देवेन्द्रस्य देवराजस्य ऊर्ध्वलोककाण्डम् अधोलोककाण्डम् संख्येयगुणम् यावत्कं क्षेत्र चमरौऽसुरेन्द्रः, अनुरराजः अधोऽवपतति एकेन समयेन, तत् शक्रो द्वाभ्याम्, वाला होता है (अहे गढ़विसए अप्पे अप्पे चेव, मंदे मंदे चैत्र) इनका नीचे जानेका विषय अल्प अल्प होता है और मंद मंद होता है । ( जावइयं खेत्त सक्के देविंदे देवराया उ उप्पय, एक्केण समएणं, तं वज्जे दोहि जं वज्जे दोहि तं चमरे तीहि) एक समय में देवेन्द्र देवराज शक्र ऊपर में जितने क्षेत्रतक जा सकता है, वज्र उतने ही क्षेत्रतक दो समय में जाता है और चमर उतने ही क्षेत्रतक तीन समय में जाता है । (सव्वत्थोवे सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो उलोडए) इस तरह देवेन्द्र देवराज का उर्ध्वलोककांडक ऊंचे जानेका कालमान सबसे कम है । (अहोलोयकंडए संखेज्जगुणे) तथा अधोलोक में जानेका कालमान उसकी अपेक्षा संख्यातगुणा है । ( जावइयं खेत्तं चमरे असुरिंदे असुरराया अहे उवयइ, एक्केणं समएणं तं सक्के दोहिं, तं वज्जे तीहिं) तथा असुरेन्द्र असुरराज चमर एक समय में नीचे जितने क्षेत्र तक जाता है शक उतने ही क्षेत्र संपन्न होय छे, ( अहे गइसिए अप्पे अप्पेचेव, मंदे मंदेचेव ) पशु तेथे नीचे જવામાં અલ્પ અને અપગતિવાળા તથા મંદ અને મદ ગતિવાળા હાય છે. जावइयं खेत्तं सक्के देविंदे देवराया उड्ड उप्पयर, एक्केणं समएणं, तं वज्जे दोहिं जं वज्जे दोहिं तं चमरे नीहिं ) मे समयमा हेवेन्द्र देवरान श ूथे જેટલે ઋતરે જઈ શકે છે એટલે જ અતરે ઊંચે જવાને માટે વાને એ સમય લાગે छे, भने भेटले ४ अथे भवाने अमरने पत्र समय लागे छे (सव्वत्थो वे सकस्स देविंदस्स देवरणो उढेलोयकंडए) भा राते देवेन्द्र देवराम शहना अवगमननुं डांड४ [अजमान ] सौथी मोछु छे, (अहोलोयकंडए संखेज्जगुणे तथा अधासो गभननुं क्षणभान तेना १श्तां सभ्यात गागु छे. ( जावइयं खेत्तं चमरे अमुरिंदे अमुरराया अहे उवयइ, एक्केणं समर्पणं तं सक्के दोहिं, तं वज्जे तीहिं सुरेन्द्र અસુરરાજ ચમર એક સમયમાં જેટલા ક્ષેત્ર સુધી નીચે જઇ શકે છે, એટલા જ ક્ષેત્ર સુધી નીચે ગમન કરવાને શક્રેન્દ્રને એ સમય લાગે છે અને તેના વજને ત્રણ સમય
SR No.009313
Book TitleBhagwati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size37 MB
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