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________________ ममेरतीय समग्याएण' क्रियसमुदधातेन 'समोहण समयान्ति, यावत् पदेन संखेसाई जोयणाई दंड निस्सरह, तं रयणाणं नाव रिद्वाणं अहा वायरे पोग्गले परिसाये अहामुद्मे पोग्गले परियोइगि संख्येयानि योजनानि दण्डं निम्नति तद: रत्नानां यावत् रिटानां यथा पादरान् पुद्गलान परिशातयति यथा सूक्ष्मान पुद्गलान् पर्यादत्त' इति संग्राहाम्, समुद्घातनिर्मितवस्तुपाह-'एगं मई' एका महती विशालां घोरां हिंसरुपाम् यतः 'घोरागारं' घोराकारी चोराकृति 'भीम भीमा भयङ्करा विकरालत्वेन भयोत्पादिकाम् यत: 'भीमागारं' भीमाकाराम भयङ्कराकतिम् भयजनकाक्रतिम् 'मामुर' भास्वरां दीप्ताम् 'भयाणीय' भयानीतां घात करके 'जाव दोच्चपि' यावत उसने दितीय पार भी 'वेउब्विय. समुग्धाएण' क्रियसमुदघात से अपने आपको 'समोहण' सम. घहतकिया-क्रिय समुदघात से युक्तकिया-यहां यावत् पदसे 'संखेजाई जोयणाई दंड निस्सरह, तं रयणाणं जाव रिहाणं अहायायरे पोग्गल परिसाडेइ, अदासुदमे पोग्गले परियाइई इस पाठका ग्रहण किया गया है। इस पाठ गत पदोका अर्थ पीछे लिखी जा चुका है। चैक्रिय समुद्घात दारा उसने किस वस्तुका निर्माण किया-इम बात को सत्रकार करते हैं कि-'एगं मह इत्यादि उस चमरने वक्रिया समुद्घात दारा 'एग महं' एक बड़े भारी विशाल शरीरका निर्माण किया। यह निर्मित विशाल शरीर कैसा था-इसी बात को विशे. पणों द्वारा प्रकट करते हुए सत्रकार कहते हैं। 'घोर' घोर था हिन. रूप था, क्यों कि 'घोरागारं' इसका आकार घोर था-विकराल था। 'भीम' भीमरूप था 'भीमागारं भीम (भयंकर) आकारवाला था विक'समोहणित्ता' मे मत 4 समुधात ४५. पछी "नाव दोचपि" मापार पण ते "वेचियसमुग्याएणं" पातानी anan यिसभुधातथा 'समोहणइ' युत श. मला (पर्यत) ५४थी नीयता सूत्रा अs शयो- 'संखेज्जाई जोयणाई दडं निस्सरइ, तं रयेणाणं जाब रिहाणे अहावायरे पोग्गळे परिसा. डेइ, अहामुहमे पोग्गले परियाइई' मा सूत्रपामा भारतi Awari भय भाज આવી ગયા છે. હવે સૂત્રકાર એ બતાવે છે કે તેણે ઐક્રિય સમુદ્રઘાત દ્વારા કેવા રૂપની स्यनारी 'ए महंते मे घी विराट शरीरनु निर्माण यु: सूर નીચેના વિશેષ ધરા તે વૈક્રિય શંરીરનું વર્ણન કરે છે ? તે વિકરાળ હતું, शि माRi8, 'भीम' त लाभ३५ (आय),"भीमागा, તેને આકાર ભયંકર હતું. તેની આકૃતિ ભયાજનક હતી કારણ કે તે વિકરાળ હતું.
SR No.009313
Book TitleBhagwati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size37 MB
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