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________________ - ४०० भगवतीय ध्यात्मिको यावत्-समुदपधत-एवं खलु श्रमणो भगवान महावीरो-जम्यूद्वीपे द्वीपे, भारते वर्षे, मुंहमारपुरे नगरे, अशोकवनखण्डे उद्याने, अशोकवरपादपस्य अधः पृथिवी शिलापटके अष्टमभक्तं मग्रा एकरात्रिकी महापतिमाम् उपसंपध विहरति ।. ६ ॥ टीका-चमरम्मति सामानिकदेवानां शकसमृद्धिविलासादि कथनानन्तरं तान् पति चमरोक्ति भगवान् गौतम प्रतिपादयति-'तएणं से चमरे' इत्यादि। ततः शक्रत्तकथनानन्तरं खल्ल स प्रसिद्धः चमरः 'अमरिंदे असुरेन्द्रः 'अमुरको लगागा 'ममं ओहिणा आभोएई' तय उसने मुझे अवधिज्ञान से देखा (इमेयारूपे अज्झथिए जाव समुपजित्था) देखकर उसे इस प्रकारका आध्यात्मिक यावत् मनोगत संकल्प उत्पन्न हुआ कि (एवं खलु समणं भगवं महावीरे जंबदीवे दीवे भारहे बासे सुंसुमारपुरे नयरे असोयवरसंडे उज्जाणे असोगवरपायवस्स अहे पुढविसिला पट्टयसि अट्ठमभत्तं पगिणिहत्ता एगराइयं महापडिम उवसंपनित्ताणं विहरह) श्रमण भगवान महावीर जंबूदीप नामके द्वीपमें स्थित भारतवपमें वर्तमान सुंसुमार नगरमें रहे हुए अशोकवन खंड उद्यान में श्रेष्ठ अशोकवृक्ष के नीचे पृथिवी शिलापट्टके ऊपर अष्टमभक्त को धारण करके एकरात प्रमाणवाली भिक्षु प्रतिमाको धारण किये हुए है। टीकार्थ-सामानिक देवेने जय चमर से शक्रकी समृद्धि और उसके विलास आदिका कथन किया-तब उसके बाद चमरने जो उनसे कहा. उसे भगवान् गौतम से कहते है-'तएणं से चमरे इत्यादि । ध्या. (ममें ओहिणा मोमोएइ) भने तो अवधिज्ञानथी भने (महावीर प्रभुनलयो (इमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पज्झित्था) भने धन तन मनमा मा मारना माध्यामि, यिन्तित, पित, प्रार्थित, मनोगत ६५ पन्न थयो. (एवं खल समणं भगवं महावीरे जंबूदीवे दीवे भारहे वासे सुसुमारपुरे नयरे असोयवरसंडे उजाणे असोगवरपायवस्स अहे पुढविसिलापट्टयंसि अट्ठमभनं पगिहित्ता एगगडयं महापडिमं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ) श्रम मगवान महावीर, दीपनामना દ્વીપના ભરતક્ષેત્રમાં, (ભારતમાં ) સુમારપુર નગરના અશોકવનખંડ ઉદ્યાનમાં શ્રેષ્ઠ અશોકવૃક્ષની નીચે શિલાપટ્ટક ઉપર અઠમની તપસ્યા કરીને એક રાત્રિ પ્રમાણુવાળી ભિક્ષ પ્રતિમાની આરાધના કરી રહૃાા છે. * જ્યારે સામાનિક દેવેએ શુકજૂની દેવદ્ધિ તથા ભેગવિલાસ આદિની વાત અમરેન્દ્રને કહી ત્યારે અમરેજો શું કહ્યું તે સૂકારે સૂત્રમાં બતાવ્યું છે
SR No.009313
Book TitleBhagwati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size37 MB
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