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________________ - ३४० 'जाए' गायन-भपुते माद 'क' कल्प गमनसामर्थ्य वर्तते किन न तत्पर्यन्तं गता गमिष्यन्ति या मिन्नु 'सोहम्म' सौधर्म 'पुण' पुनः कर्ष फापं गया य गताग 'गमिनि गमिप्यन्ति । गौतमः सौधर्मपर्यन्तोसोक गमनमयोननं पृच्छवि-'किंपनियन मंते' इत्यादि। 'हे भगनन ! कि मस्यय कि कारणं खलु अमुरकुमारा देयाः 'सोहम्म' सोधर्म 'कप्प' पल्म 'गया ये गताम 'गमिस्सति यो गमिप्यन्ति । तेपाममुरकुमाराणां सौधर्मपर्यन्तगमने फो हेतुः ? भगवानाद-गोगमा। तेसि नं' इत्यादि। हे गौतम । असुरकुमार देव जा सकते है। अर्थात् १२ वें फल्पतक असुरकुमार देव उध्यलोक में जा सकते है। परन्तु अभीतक वे वहतिक न गये है, न जातें हैं और न आगे भी जायेंगे । 'अच्युत तक, जा सकते है। ऐसा जो कहा गया है. सो यह तो उनके गमनका सामर्थ्यका प्रदर्शन मात्र है । यदि ये जाना चाहें तो वहां तक जा सफते है । परन्तु अभी तक न गये है और न आगे भी जायगी 'सोहम्मं पुण कप्पं गया य गमिस्संति य' ये तो सौधर्म देवलोक तक ही जाते हैं, गये हैं और आगे भी यहां तक जावेंगे। इस प्रकार 'असुरकुमार देव सौधर्म देवलोक तक ही जाते हैं, गये है, जायण ऐसा कथन प्रभुके मुखसे सुनकर वहां तक इनके जाने में क्या कारण है' इस पातको जाननेके लिये गौतम प्रभु से पूछते है । पत्तियं णं मंते । असुरकुमारा देवा सोहम्मं कप्पं गया य गमिस्सात અગ્રુત નામના દેવલોક સુધી ઊર્વલોકમાં જઈ શકે છે. પણ ખરેખર તો આજ કદી પણ તેઓ અચુત દેવલોક સુધી ગયા નથી, વર્તમાનમાં જતા પણ નથી* ભવિષ્યમાં જશે પણ નહી. “તેઓ અચુત ક૯૫ સુધી જાય છે.” આ કથન તે તેમનું સામ બતાવવા માટે જ કર્યું છે. જે તેઓ ધારે તે ત્યાં સુધી જઈ શકવાન સમર્થ છે. ત્યારે તેઓ કયાં સુધી ઊર્વલેકમાં જાય છે? "सोहम्मं पुण कप्पं गया य गमिस्संति य" मसुरभुमार व भूतान सीधभ' દેવલેક સુધી ગયા હતા, વર્તમાનમાં ત્યાં સુધી જાય છે, અને ભવિષ્યમાં પણ સૌધર્મ ક૯૫ સુધી જ જશે. આ પ્રમાણે ભગવાનનું કથન સાંભળીને તેમનું ત્યાં સુધી ગમન કરવાનું કારણ पानी निशासायी गौतभरपाभी नीयन प्रश्न है- पलिये भंते ! अमुरकुमारा देवा सोहम्मं कप्पं गया य गमिस्संति य?" 3-1 ! असुर
SR No.009313
Book TitleBhagwati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size37 MB
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