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________________ ३२६ भगवती यन्ते, नो परिजानन्ति, नो gered eyesarri देवास्ताभिरप्सरोभिः मार्च दिव्यान् भोगभोग्यान सुझाना विहर्तुम् एवं खलु गौतम । भवरकुमाराः देवाः सौधर्मे गताथ गमिष्यन्ति च ॥ ० १ ॥ 1 टीका - तृतीयशतकरय मथमोदेशके चमरेन्द्रादीनां देवानां विकुर्वणाशर्नि पणं कृतं द्वितीये उद्देश तु देवविशेषाणाम् अनुस्कुमाराणाम् गतिशक्तिपकपणांय चमरेन्द्रस्योत्पातनिरूपणाय च शास्त्रकारः मस्तौति तेणं काछेनं ' कुमारा देवा ताहि अच्छराहि सद्धि दिव्वाह भोग भोगाई मुंजमाणा, विहरतए) इस तरह वे असुरकुमार देव उन अप्सराओं के साथ दिव्य भोगने योग्य मोगों को भोग सकते हैं । (अह णं ताओ अच्छराओं नो आढायंति, नो परियाणंति, णो णं पभू ते असुरकुमारा देवा ताहिं अच्छराहिं सद्धि दिनव भोग भोगाई भुंजमाणा विहरितर) यदि कदाचित् वे अप्सराएँ उनका आदर नहीं करे, उन्हें अपने स्वामी तरीके न स्वीकारें तो वे असुरकुमार देव उन अप्सराओं के साथ दिव्य भोगने योग्य भोगो को नहीं भोग सकते है । ( एवं खलु गोयमा । असुरकुमारा देवा सोहम्मं कप्पं गया य गमिस्संति य) है गौतम । असुरकुमार देव सौधर्मकल्प तक गये दे, जाते है और आगे भी जायेंगे, इस कथन में यह पूर्वोक्त कारण है- ॥ टीकार्थ-- तृतीय शतक के प्रथम उदेशक में घमरेन्द्रादिक देवोंकी विकुर्वणा शक्ति का सूत्रकार ने निरूपण किया है । अब इसद्वितीय उद्देशक में देवविशेष असुरकुमारों की गति शक्ति की प्ररूपणा सद्धिं दिव्वाई भोगभोगाई भुंजमाणा, विहरितए) मा प्राश्ना सयोगीमांकते मसुरकुमार देवा ते अप्सराओ। साथै हिव्य लोगो लोगवी राडे छे. [अहणं ताओ अच्छराओ नो आढायंति, नो परियाणंति, णो णं पभू ते असुरकुमारादेवा ताहि अच्छराहिं सद्धिं दिव्वाई भोगभोगाइ भुंजमाणा विहरित ] पशु ले ते व्यासરાએ તેમને આદર ન કરે, તેમને તેમના સ્વામી તરીકે ન સ્વીકારે તે તે અસુરકુમાર हवा तेभनी साथै हिव्य लोगो लोगवी शक्ता नथी. [ एवं खलु गोयमा ! असुरकुमारा देवा सोहम्मं कष्पं गया य गमिस्संति य] हे गौतम! ते भर असुरકુમાર દેવે સૌધમ કલ્પ સુધી જતા હતા, જાય છે અને ભવિષ્યમાં પણ જશે, ટીકા॰—ત્રીજા શતકના પહેલા ઉદ્દેશકમાં સૂત્રકારે ચમરેન્દ્ર વગેર દેવાની વિધ્રુણા શક્તિનું નિરૂપણ કર્યું છે. હવે અસુરકુમાર દેવાની ગતિશકિતનું તથા શ્રમ -
SR No.009313
Book TitleBhagwati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size37 MB
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