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________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श ३ उ.८ र १ भवनपत्यादिदेवस्वरूपनिरूपणम् ८५९ आधिपत्य यावत् विहरत , तघया-चन्द्रश्च, सूर्यश्व, सौधर्मेशानयो भदन्त । पल्पयो कति देवा आधिपत्य यावत्-विहरन्ति ? गौतम ! दशदेवा यावदबिहरन्ति, तघया शक्रो देवेन्द्रः, देवराज , सोम , यम , वरुण , वैश्रवण , ईशानो देवेन्द्र., देवराज , सोम , यम , वरुण , वैश्रवग एपा वक्तव्यतासर्वेष्वपि फल्पेषु एते चव मणितव्या , ये चेन्द्राम्तेऽपि मणितन्याः । तदेव मदन्त ! तदेव भदन्त ! इति । सू० १॥ (उतीयशतके अष्टमोप्देशक समाप्त) देवोंके इन्द्र है । (जोइसियाण देवाण दो देवा आहेबच्चजाव विहरति, त जहा घदेय मुरेय) ज्योतिपिक देवों के ऊपर अधिपतिल करने घाले दो देव यावत् है चन्द्र ओर मर्य । (मोहम्मीमाणेसु ण भते ! कप्पेस फइ देवा आहेवच्च जाव यिहरति) हे मदन्त सौधर्म और ईशान इन देवलोकोंमें अधिपनित्व करनेवाले स्तिने देव याषत रहते है । (गौयमा) हे गौतम । (दशदेवा जाय विहरति) सौधर्म और ईशान इन देवलाकोमें अधिपतित्व करने वाले दशदेव यावत रहते है । (तजहा) घे ये है (सक्के देविने देवगया सोमे, जमे, धरणे, वेसमणे, ईमाणे देखिंदे देवराया, सोमे, जमे, करुणे, येसमाणे) देखे. न्द्र देवराज शक्र और शक्रके लोकपाल सोम, यम घरुण एष वेधमण तथा देवेन्द्र देवराज ईशान और ईशान के लोकपाल सोम, यम, परुण एष श्रमण (पसा बत्तश्चया सन्वेस वि सम्पेसु एएचेव माणि यवा) यहवक्तव्यता ममस्त कल्पोमें जानना चाहिये और इनमें जो पानव्यन्तर सोना छे (जोऽसियाण देवाण दो देवा आहेवच्छ जाव विहरति-तनहा घदे य, मरे य) यालिपि हो ५२ अधिपति:१ मात ४२ना नीय प्रभाले रे वो है- [१] यन् भने [२] स्य (सोहम्मीसाणेसु ण मते ! फापेमु फा देखा आहेसल्या जाब विहरति ?) Bre-! कोयम भने UR RAR मा भविपतिवमा नासो छ। (गोयमा 1) अ गौतम! (इस देवा जाब विहरति) सोयम' भने ध्यानमा का विपतिM RANG रे (तमा) भना नाम नी प्रमाणे - (सक्के देविदे देवराया, सोम, नमे, वरुणे, समणे, ईसाणे देवि देवराया, सोमे, अमे, चणे, वेसमणे) (૧) દેવેન્દ્ર દેવરાજ શાક (૨ થી ૫ શમના વૈપા-સેમ યમ, વરુણ અને ગેરમણ (एसा वचन्मया सन्षेम वि कप्पेमु एए चेव भाणियचा- जे इदा ते य माणियन्ना ) २३ मा ५२ प्रभार पातयता समापी मन ते १२४ना तमना नाम हेवा मेधने (सेव मते! सेय मते! ति)
SR No.009313
Book TitleBhagwati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size37 MB
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