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________________ ८५६ भारतीय माणव , तेजः, तेन.सिंहः, तेनस्तान्त , तेन. मम', डोमारामार, विशिष्ट , रूप., रूपाशा, रूपकान्त , रूपनमा, उदपिकमाराना-सान्त, मलममः, जल , जलरूप , जलकान्ता, जलपम, दिक्कुमारानाम्-अमितगतिः स्कुमार देवकि ऊपर ये दशदेव अधिपतित्व करते हुए पाक्त विहार करते है, उनके नाम ये है हरिकान्त और हरिसा तथा इनदोनों के लोक्पाल इनके लोकपालों के नाम ये है प्रभ, सुप्रभ, प्रभाकान्त सुप्रभाकान्त । (भग्गिकुमाराण अग्गिसौर, अग्गिमाणव तेउ, तेउसीर, तेउकत, सेठप्पम) अमिकुमारों के ऊपर ये दशदेव अधिपतिस्थ करते हुए यावत् विहार करते है उनके नाम ये है अमिशिख, अमिमा णव, तथा इन दोनों के रोकपाल इनके लोक्पालोके नाम इस प्रकारसे है तेज, तेजसिंह, तेनकात और तेजप्रम (दीवकुमाराण पुण्ण, विसिट्ठ, स्य-रूपम, ज्याप्त, स्यप्पम) दीपकुमारों के ऊपर अधि पतित्व करनेवाले ये देव है-पूर्ण और विशिष्ट तथा इनके लोकपाल रूप, रूपाश, रूपकात और रूपप्रम (उदरिकुमाराण जलकते, अलप्पम, जल, जलरूप, जलफत, जलप्पम) उदधिकुमार देवो के ऊपर अधिपतित्व करनेवाले पे दश देव है जलकान्त और जलप्रम तथा इन दोनों के लोकपाल जल, जलरूप, जलकान्स एव जलप्रम। (दिसा [1] सहित [२] असिस, [३ थी १.] ते भन्नेना बार, यार बाan- स સૂમ, પ્રભાકાન્ત અને સુભાકાત (अगिफमराण अग्गिसीर, अग्गिमाणव,-तेठ तेउसीत. तेतकंत. तेउप्पम) અગ્નિકુમારા પર નીચેના દસ દેવો અધિપતિ વ આદિ કરે છે- ૧] અગ્નિશિખ, અગ્નિમાણવ, [૩ થી ૧૦] તથા તે બન્નેના ચાર વાર કપા– તેજ, તેજસિંહ, તેજકાત અને તેજપ્રભ (दीवकुमाराम पुण्म, विसिह, स्य-स्यस, स्यकत, स्यप्पम)ीमाश पर નામના દસ રેવનું અધિપતિત્વ આદિ ચાલે - [૧] પૂર્ણ ]િ વિશિષ્ટ [૩ થી ૧] પણ અને વિશિષ્ટના ચાર ચાર લોકપાલા- ૧૫ પાંશ ૨૫ાત અને ઉપપ્રભ. (उदहिकमाराण-मलकते, जयप्पम-जए, भास्य; अम्मत, असप्पम) ધિમારા પર નીચેના દસ અધિપતિત્વ. મારિ કર – [૧] જાન્ત વિ) જલપ્રભ કિ થી ૧] તે બન્નેના ચાર ચાર લોકપાલે– , જલરૂપ જહકાન્ત मन म.
SR No.009313
Book TitleBhagwati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size37 MB
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