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________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श ३७ ७ ५ वैश्रमणनामक्लोपालस्वरूपनिम्पणम् ८३५ वाम्राऽऽकरा इति वा, सीसकाऽऽकरा इति वा हिरण्याऽऽकरा इसि वा, मुवर्णाऽऽफरा इति वा, रत्नाकरा इति वा, वजाऽऽकरा इति वा, वसुधारा प्रति घा, हिरण्यवर्ण इति वा, सुवर्णवर्ण इति वा, रत्नवर्पा इति चा, वजवर्षा प्रति वा, आभरणवर्ण इति वा, पत्रवर्पा इति था, पुष्पवर्षा इति वा, फलवर्षा इति वा, वीजवर्षा इति वा, माल्यर्पा इति वा, वर्णवर्षा इति वा, चूर्णवर्मा इति वा, गन्धवा इति वा, वनवर्षा इति घा, हिरण्यदृष्टि इति वा, सुवर्णरष्टि गति वा, रत्नदृष्टि इति वा, वष्टि इति वा, आमरणदृष्टि इति वा, पप्रवृष्टिः इति वा, पुष्पवृष्टि इति वा, फल दृष्टि इति वा, वीज पदार्थ उत्पन्न होते हैं (त जहा) जैसे कि(अयागराइ वा, तउयागराइ वा, तयागरा , वा, एव मीमागरा वा, पिरण्णागराइ वा, सुवण्णागरा । घा) लोहे की म्वान, रागको खान, तांयेकी स्वान, हिरण्यको म्यान, सुवर्णकी खान, (रयणागरा इ घा, कारागरा इ वा, वसुहाराइ था, हिरण्ण यासाइ घा, सुवण्णवासा वा, रयणवासाइ वा, वहरवामाइ वा) रत्नकी म्वान, वनको खान, वसुधारा, हिरण्यको (माने प्यादी) वर्मा, सुवर्णकीवर्षा, रत्नकीवर्पा, वज्रकी वो, (आमरणवासाह वा) आभरणकी वर्षा, (पत्तघासाइ वा, पुष्फ वासाद या, फलवासाइ वा, यीयघामाह या) पत्रों की वर्षा, पुष्पोंकी वर्षा, फलोंकी वर्षा, पीजोको वर्षा, (मल्लषासाइ वा घण्णवासा वा, चुण्णषासाइ चा, गधवासाइ वा, पत्थवासाइ वा, हिरण्णबुट्टीह वा, सुवण्णवुट्टीइ वा, रयणबुडीह था, वहरघुष्टीह घा, आमरणबुट्टीइ चा, पतयुटीह वा, पुप्फबुटीह वा ) माल्यकी वर्षा, वर्णकी वर्षा, चूर्णकी मेरे विशिष्ट पहाय पन या तजहा) ते पहायना नाम नी प्रमाणे - (अयागराइ पा)diनी माले। (सउयागराइ वा) ४६15नी मात, (तषागराइ वा) तापानी माला (एनं सीसागराा मा) भौसानी माद (हिरण्मागराइवा) adiनी मावा (सुषण्णागराड पा) सानानी माद, (रयणागराइ बा, फइरागराइ वा, अनुहाराइ बा, हिरण्यवासार वा, मुवष्णवासा इवा, रयणवासाइ चा, पारपासापा) रत्नानी पा!, 4 (81) माले, सुधा, न्यादाना वर्षा रत्नान वर्धा, पनी वर्षा (बाभरणवासार वा) भाभूपदान वर्मा, पचवासाइ वा पुप्फवासा वा) पानी पर्चा पु.चानी वर्षा, (फलवासाइ वा) पवन पा, पीयवासाइ पा) भाननी 4, (मल्लवासाइ वा, वण्णयासाइबा, घुण्णासार पा) भाामानी पर्ना, २ जना वर्धा, यूर्पनी , गधवासावा, (ne
SR No.009313
Book TitleBhagwati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size37 MB
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