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________________ SHATTERNETRAge मगवतीणे पालका, धरणामिधाननागराजस्य 'शशवपालक' नामा लोपाला, 'पुरे' पुण्डः, 'पलासे' पलाशा, 'मोए' मोद', 'जए' जय , 'दमिरे' दणिमा, 'अयपुरले अयपुल , 'कायरिए' पातरिक , एसे ग्वलु पुण्ड्रादिशातरिकपर्यन्ता देवा धरुण लोकपालस्यापत्य स्थानीया देवाः सन्तीति, अय यरुगादे रिपति कालमाह-सफस्स ण' इत्यादि । शमस्य वस्तु 'देविंदस्स' देवेन्स्य 'देव. रणो' देवरानस्य 'घरुणस्स' परुणस्य 'महारणो' महाराजम्य 'देखणार' देशोने दो छ पिश्चिन्यून हे 'पलिभीयमाइ' पल्योपमे 'ठिई' स्थिति 'पण्णा' ममता 'महावचाऽमिण्णायाण' यथाऽपत्याभिनातानाम् पुत्रस्थानीयामिमताना पूर्वोक्तानाम् 'देवाण' देवानाम् 'एग पलिभोगम' एक पल्योपमम् 'ठिई स्थितिः 'पप्णता प्राप्ता 'एमट्टिीए' एवम् उक्त प्रकारको महर्दिकः शखपालक-धरण नामके नागराजा यह इस नामका लोपाल है। 'पुढे' पुण्ड-पलासे' पलाश, 'मोए' मोद, 'जए' जय, 'ददिमुहे' दधिमुख, 'अयपुले' अयपुल 'कापरिए' कातरिक ये सप पुषहसे लेकर कातरिक तक के देव घरुण लोकपालके अपत्य स्थानीय देव हैं। अप सम्रकार इन घरुण आदि देवोको स्थितिकालको प्रकट करने के लिये कहते है कि 'सफस्स ण देविंदस्स देवरपणो घमणस महा रणों' देवेन्द्र देवराज शक्रके तीसरे लोकपाल इन वरुण महारामकी 'ठिई' स्थिति 'देखणा पलिओषमाई कुछ कम दो पल्योपम की। सया 'अहावयामिण्णायाण' भपत्य के जैसे माने गये पूोक 'देवाग' देवोंकी ठिई स्थिति 'एर्ग पलिओषम पण्णसा' एक पस्योपमकी है। 'एमहिटीए आय घमणे महाराया' ऐसी परी समृद्धिवाला पावन AHIR "पुरे" , "पकासे" vals "मोए" भार, "ज" स्य, "दमि अभिभुम, "अयपुछे" iya, "कायरिये" तशि में सक्षणा રે વ લોકપાલના પુત્રાસ્થાનીય દેવ ગણાય છે. કહેવાનું તાત્પર્ય એ છે કે ઍટથી કાતરિક પાના ઉપયુક્ત દેવા, વરુના પુત્રસ્થાનીય રે મનાય છે હવે સરકાર નીચેના સ દ્વારા વરુણે આ વિાની સ્થિતિ (ખાયકાળ) પ્રકટ કરે છે "समस्स ण देविंदस्स देषरण्णो परुणस्स महारणो" इन्द्र, ११ साना asia १२१ महारानी "ठिई देवणार पलिमोनमा" स्थिति २ पत्यायम Halfन न्यून भान या "महाषचामिण्णायाण देवाष्ण ठिी एगं पलिओचम पण्णमा वरुना पुरयानी 34 मोनी स्थिति मे पश्योपमनी "एव महिरटीए भाव परुणे महाराया" परु म २ दि. HTHHATH
SR No.009313
Book TitleBhagwati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size37 MB
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