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________________ ८२६ भगवतीको यावत्-तिष्ठन्ति, यावत् फरणात्-तस्पातिया तमार्या , शाप देरेन्द्रस्य ठेवराजस्य वरुणस्य महाराजस्य आमा-उपपात-वचन-निर्देश ति सप्रायम् । अथ जम्बूद्वीपे मेरुपर्वतस्य दक्षिणा निशि उत्पातकार्यविशेपाः वसमस्या ध्यक्षरवे एव भवन्तीत्याह-'जयूडीवे दीपे' जम्बूद्वीपे द्वीपे 'मरस्स पमपरस' मन्दरस्य पवतस्य मेरु पर्वतम्प 'दाहिणेण' दक्षिणेन दक्षिणस्या दिशि ‘जार इमाई' यानि इमानि अग्रे वक्ष्यमाणानि उत्पातविशेषकार्याणि 'समुप्पज ति' समुत्पद्यन्ते 'त जहा' तद्यथा 'अवाप्ता गा' अतिरपा पति वा, अतिशय वाँ वेगशालि वर्णणोनि इत्यर्थ 'मदवासा वा' मन्दवर्षा इति पा, भने मर्पणानि 'मुबूट्टी इवा' मुष्टि इति वा, सम्यगशष्टि धान्यादि मस्यसम्पत्ति हेनुवर्णणानि समिक्ष कारकाणि 'युट्टी । वा' दुष्टि इवि या दुर्मितहेतुभूता 'चिट्ठति' रहते है, यहां ' यावत्' शब्दसे " तत्पाक्षिका तद्भार्या शक्रस्य देवेन्द्रस्य देवराजरय वरुणस्य महाराजस्य आज्ञा उपपातवयन निर्देशे' इस पाठका मग्रह हुआ है । अप सूत्रकार यह बात प्रकट करते है कि जनूदीप में मेरुपर्वत की दक्षिणदिशामें जो उत्पातरूप कार्यविशेप होते है ये सप धरुणदेवकी जानकारी में ही होते हैं'जंबूहीवे दीवे' जसीप नामके इम दीपमें 'मदरस्स पव्वयस्स' 'दाहिणेण' दक्षिणदिशा में 'जाइ इमाई' जो ये आगे कहे जानेवालेउस्पातरूप विशेषकागे 'समुप्पन ति उत्पन्न होते है-'त जहा' जैसे 'भहवामा वा अत्यन्त धेगशालिनी सृष्टिका होना, 'मद वासावा' मन्द-धीरे २-योका होना, 'सुट्टी इवा' धान्य आदि भनाज को विशेषरूप से उत्पम करानेवाली-ऐसी सुभिक्षकी कारणभूत मच्छी पर analaनी मतिमा 'चिट्ठति ' त५२ ५ महा माव' ta 'तत्पासिया तार्याः शक्रस्य देवेन्द्रस्य देवरामस्य, वरुणस्य महाराजस्य आना उपपात पचन निर्देशे' मा पा र ४सय 6 सूत्र ने बात પ્રક્ટ કરે છે કે જબુદ્વીપમાં મેરુ પર્વતની દક્ષિણે જે ઉત્પાતાપ કા થાય છે તે परवाना नमसार उता नयी 'जपूतीये दीये' ५ नाभना ना दीपभा 'मदरस्स पश्चयस्स दाहिणेण ' मेरु पनी क्षिय शिामा जार माद समप्पजति' नाय याव्या प्रभावना २ पाता याय, तपस भामा सात न ( तमा) ते जपताना नाम नाम अभा 'प्रामामा वा मतिय५ natil at या, 'मदवासा वा' म दिपीधार धार l यी ''मुघुवीर या' मनाn kि sutr पानार सार
SR No.009313
Book TitleBhagwati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size37 MB
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