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________________ ८२० - मगतीने देविंदस्स, देवराणो, वरुणस्स महारण्णो देसूणाइ, दो पलिओवमाइ, ठिई पण्णत्ता, अहावच्या भिण्ण याणं देवाण एग पलिओबम ठिई पण्णत्ता, ए महिद्दढोए जाव-वरणे महाराया ॥स ४॥ डाया-कुम खलु भदन्त ! शाम्य दवेन्द्रस्य देवरामस्य वरुणम्य महा राजस्य स्वय ज्वल नाम माविमान मनतम् ? गौतम । तम्प बल सीपमा वतसरम्य विमानम्य पभिमेन सौधर्म फल्पे असस्पेयानि यथा सोमस्य तथा विमाननाजघान्पो मणितव्या , यावत्-मासादावतसका, नवरम्-नामनाना घमण नामके लोकपालकी वक्तव्यता'कहिण मते ' इत्यादि । मनार्थ-(कति ण मते ! सरकस्म देविंदास देवरणो वरुणस्स महारण्णो सयजले नाम माविमाणे पपणसे) हे मदन्त ! देवेन्द्र देव गज शक्रके तृतीयलोकपाल वरुण महाराजका स्थयज्वल नाम का विमान पिस स्थान पर है ? (गोयमा) हे गौतम ! (सस्स ण सोहम्म वडे सयस्स विमाणस्स पञ्चरिथमेण सोहम्मे कप्पे असलेवाइ-जहा मोमस्म तहा घिमाण-रायहाणोओ) सौधर्मावतसक विमानकी पश्चिम दिशामें सौधर्मफलप है। यहा से असख्यात हजार योजन आगे चलकर पश्चिमदिशा में धरुण माशराज का स्वपज्यल नामका विमान है। इस विषय से लगता हुआ समस्त कपन सोम महाराज के विमान के कथनकी तरह से ही जानना चाहिये, तथा विमान, एवं લેપાલ વરુણનું વર્ણન ' िण मते त्या सूना- (कहि ण मते ! सकस्स दविंदस्स क्षेचरणो पठणस्स महा रम्णो सयमछे नाम महाविमाणे पप्पासे १) ३ महन्त ! रवेन्द्र प्रता मी albua ५ महारानk time नामनु विमान ? (गोयमा) गौतम (सस्स हा सोहम्मपरे सयस्स रिमाणस्स पचत्यिमेण सोम्में छप्पे असखेज्मा-जहा सोमस्स ता विमाण-रायहाणीभो सोधावत વિમાનની પશ્ચિમ દિશામાં સૌધર્મ કપ છે ત્યથિી બસ ખ્યાત હજાર યોજન દુર જવાથી વરુણ મહારાજનું સ્વયલ નામનું વિમાન છે વિમાન, શક્કાની આદિન સમસ્ત કથન સોમ લેપાલના વિમાન, શજધાની દિના પૂર્વોક્ત કથન પ્રમાણે
SR No.009313
Book TitleBhagwati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size37 MB
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