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________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श ३उ. ७ ३ यमनामकलोफपालस्वरूपनिध्पणम् ८०९ , 1 , ज्ञातानि इत्यग्रेण सम्बन्ध | उत्पात प्रकारानाह - ' व जहा ' तद्यथा - 'डिवाइवा डिम्बा विघ्ना अन्तराया इति वा, 'हमरा ई वा' डमरा एकराज्ये एव राज कुमारादिकृतोपद्रवा 'कुलहा इ वो' कलहा क्लेशकारक्वाविवादा, 'घोला इवा वोला अव्यक्तवर्णध्वनिसमृद्दा' इति वा, 'खारा इवा' क्षारा अन्योन्य मस्सरा इति वा परस्पर मत्सरमावयुक्ता 'महाजुद्रा इवा' महायुद्धानि अन्यafस्थितग्रामा इति वा महागामा इवा महासंग्रामा व्यवस्थितचक व्यूढादिरचनोपेतमहायुद्ध, नि इति वा, ' महासत्य निवडणा वा महाशस्त्र निपतिनानि इति वा, एव तथैव ' महापुरिसनिवडणा इवा महापुरुषनिपतनानि विशिष्टपुरुषमरणानि इति वा, 'महारुहिरनिवडणा वा महारुधिरनिपतनानि अत्यन्ताविरलरुघिरधारापाता इति वा, 'दुब्भूयार वा' दुर्भूता दुष्टा जनधनधान्योपद्रव हेतुभूताभूता सत्वा मूषिकशलभपक्ष्यादीतय इति वा, 'कुल लगालेना चाहिये अब वे उत्पात कौन से होते है सो 'तजहा' से मक्ट किये जाते है- 'डिपाठ वा' डिम्ब - विघ्न- अन्तराय, 'डमराइवा' उमर - एक राज्यमें ही राजकुमार आदिकों द्वारा किये गये उपद्रव, 'कलहाडया' कलह-क्लेशकारकवाद विवाद, 'चोलाह घा' अव्यक्तवर्ण वाठे ध्वनि समूहरूप योल, ग्वाराइ वा, खार - आपसी मत्सर भाव 'महाजुद्धार या' व्यवस्थासे रहित महायुद्ध 'महा सगामाइ वा' व्यष स्थित चक्रव्यूह आदिकी रचनासे युक्त महायुद्ध, 'महासत्यनिवढणा हवा' युद्धमें पढेर शस्त्रका पढना, एव' इसी तरहसे 'महापुरिसनिय - suts या' महापुरुषों-विशिष्ट पुरुषोंका युद्ध मरण होना, 'महारुटिर freeing घा' अत्यन्त अविरल ऐमी रुधिर की धाराका युद्धमें निकलना, 'दुम्याइवा' मनुष्योंको तथा अनाज वगैरह को नुकसान 'व जहा' ते उत्पातो नीचे प्रभा सभा - ' डिंबा या' भ्भि विश्न अन्तराय, " उमराइ घा ૩ ડમર-એક રાજ્યમાં જ રાજકુમાર ખાદિ દ્વારા કરાતા ઉપદ્રવ 'फलहाइ वा' ४८८-४सेशमा २४ वा विवाह 'योलाइ वा' जोसायासी मन्यस्तव वाला ध्वनिसम३य मास, 'खाराह बा' प्यार-द्वेषभाव, 'महाजुदाइ वा 'व्यवस्थाथी रक्षित भढायुद्ध 'महासगामाइ या ' व्यवस्थित य४प्यूर माहिती दयनाथी युक्त भहायुद्ध, 'महासत्यनिवडणार षा' युद्धमा भोटो मोटा शखोनु पतन ' एवं महा पुरिस निवडणा या महापुरुषानु - विशिष्ट पुरुषो युद्धमा भर 'महारुहिरनिवडणार त्रा' युद्धभा होनी अत्यन्त व्यविरत धारा बहेवी 'तुम्भूयाइ वा ' દુષ્કાળ પડવા અથવા મનુષ્યાને તથા અનાજ મદિને નુશાન કરનારા ઉદ્દેશ तीऊ , "
SR No.009313
Book TitleBhagwati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size37 MB
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