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________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श ३ उ ७९ २ शक्रस्य सोमादिलोकपालस्वरूपनिरूपणम् ७९५ यथाऽपत्या यया अपत्यानि तया ये भवन्ति ते यथाऽपत्या देवा पुत्रम्यानीया म्वामिमतकार्यकारित्वात् 'अभिण्णाया' अभिनाता अभिमता होत्या' सन्ति, 'तनहा' तपथा-'उगालप' मारय महल , 'चियालए' विचालक ग्रहनिशेप केतुरित्यर्थ 'लोहियक्खे' रोहिताश ग्रहविशेष 'सणिचरे' गनेश्वर , 'च दे' चन्द्र सूरे' मर सूर्य 'मुक्के' शुक्र , 'हे' बुध , 'वहस्सई' वृहस्पति , 'राष्ट्र राहु , । उति अय मोमलोकपालस्य स्थितिमालमा 'मास्म ण' शक्रस्य ग्वल 'देविंदम्स देवराणो' देवेन्द्रस्य देवराजस्य 'सोमस्स महारष्णो' सोमम्य महारानस्य 'सत्तिमाग' सप्रिमागम् त्रिमागाधिकेन सहित सत्रिभागम् 'पलि ओचम' एक पल्योपमम् 'ठिई स्थिति पण्णचा पक्षप्ता 'अहायचाऽमिनायाण' यथापन्यामिझातानाम् अपत्यतृष्यतयाऽभिमतानाम् 'देवाण' बङ्गारकादिये वध्यमाण देव अपन्य के जैसे होते हैं क्यों कि वे सोमके अभि मत कार्य को करनेयाले होते है। हमी कारण वे सोमके लिये 'अमिण्णाया' अमिमम 'होत्या' हैं। 'तजहा' घे देव ये हैं-'इगालए' अगारफ-मगलग्रह, 'वियालग' केतु 'लोहियक्खे' लोहिताक्ष-उस नामका एक ग्रह विशेप, 'सणिश्चरे' शनैश्चर, 'चटे, सूरे, सुफे' चद्र, सूर्य, शुक्र 'घुहे, घहस्सई बुध, वृहस्पति और 'राष्ट्र रा । अप सोम लोकपालफी स्थिति कितनी है-इस यातको सूत्रकार प्रकट करते हैं 'सकस्स ण देविंदस्स देवरणो' देवेन्द्र देवराज शके लोकपाल 'सोमस्स महारपणो' सोममहाराजकी ठिई' स्थिति 'सत्तिभाग एग पलिभोषम पण्णता' त्रिभागसहित एक पत्योपमकी है । तथा 'अहा यचाऽभिभायाण' अपत्यतुल्य माने गये ' देवाण' देयोंकी आजारक એમ મહારાજના પુત્ર સ્થાનીય દેવો નીચે પ્રમાણે છે, તેમને પુત્રસ્થાનીય કહેવાનું કારણ એ છે કે તેઓ સેમના સમત કાર્યો કરનારા હોય છે, તે કારણે તેઓ એમને માટે 'अमिष्णाया' अभिमत 'होत्या' साय छे त जहा' त हो नीय प्रमाणे - 'इगाए' म २४-18, 'वियाएए'हेत, 'लोहियक्खे' सिताक्ष में नाभने th, 'सणिचरे शने२-शनि नामने। , 'चदे, सरे' म' यन्द्र, सू , 'हे, चहस्सह, राह' सुप, पति (गुरु) भने राम सूत्रा२ सम als पानी स्थिति (ARIYen) व ते 'मफस्स ण देविंदस्स देवरष्णो' देवदेव, ना ४ia सोमस्स महारयो 'सम महारानी "ठिय सचि मार्ग पगं पलिओवम पण्णा' स्थिति निमा सहित मे मना ही छे तथा ' अहावचाऽमिनायाण देवाण' तभना पुत्रस्थानीय २४ [भ ]
SR No.009313
Book TitleBhagwati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size37 MB
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