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________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श ३उ ७८.२ शकस्य मोमादिलोकपालस्वरूपनिरूपणम् ७८९, ॥१॥'इत्युक्तम् । 'गजिया ३ वा' गर्जितानि मेघगनितानि इति वा, विजू इ वा' विद्युत् इति वा, अभ्र विना विद्युल्लनास्फुरणम् ‘पमुबुट्टी इवा' पामुष्टिः धूलिष्टिः इति वा, 'जुवे इवा'यूपा 'शुक्लपक्षे प्रतिपत्तिथ्यादिदिनत्रयावधि सन्ध्याच्छेदावरका यूपका इति कथ्यते, 'जस्खालित्तए इ वा' यक्षादीप्तानि आकाशे व्यन्तरविशेष यक्षकतमलनानि 'यूमिया इका' धूमिका इति वा, धूमाकरघूसरवर्णघनीभूत जलकणराशि. 'मरियाद वा' महिया इति वा सेव ईपत्पाण्डरा 'रयुग्धाएति वा' रजउदयात. इति वा' धूलिसमूह. दिशां लिव्याप्तत्वम् 'चदोवराग इ वा' चन्द्रोपरागा चन्द्रग्रहणानि इनि वा, 'सरोवरागाइ वा' नोपरागा. मूर्यग्रहणानि इति वा, 'चंदपरिवेसा इ वा' चन्द्रपरिवेषा इति या, चन्द्रस्य चतुर्दिक्षु गोलाकार वर्णघाला दिखलाई दे, तो वर देशके नाश के लिये होता है और वह यदि लालरगफा दिवसाईदे तो अनाजके विनाशके लिये होता है) 'गज्जियाइ वा' मेघोंकी गर्जना छोना, 'विज्जूइ वा' विजलीका चमफना, 'पसुट्ठीइ या' धूलिकी वर्षा होना, 'जह वा' शुक्लपक्षमें प्रतिपदा, दोज और तृतीया तफ जिसके द्वारा सध्या दफजाना है वह यूपक कहलाता है, इस यूपकका होना, जक्खालिसपइ आकाशमें व्यन्तरविशेप यक्ष द्वारा दीप्तियोंका होना, 'धूमियाइ वा' धूम्रके आकार जैसे-धूसरवर्णवाले-घनीभूत जरफणों का राशिरूपमें होना, 'महियाइ घा' कुछ सफेदवर्णवाले जलकणोंका घनीभूत राशिमें प्रकट होना, रयुग्घाएत्ति वा' दिशामोंका धूलिसे व्याप्त होना, 'चंदो घरागाइ वा' चद्रग्रहण होना, 'सूरोवरागाइ वा' सूर्यग्रहण होना, માટે અશુભ નીવડે છે, જે તે અગ્નિના વર્ણને દેખાય તે દેશને માટે અશુભ ગણાય छ, मन त मन भाय तो मनाने भोटे विना मनाम छ) 'गजि याइ वा' भेषनी गायची, 'पिज्जा वा' वाणीन मारा था, 'पमुघुट्टीई माधान। १२सा यो, 'जवेड वा' ५२४ -मेट है शुपक्षनी ४म, બીજ અને ત્રીજ પર્યન્ત જેના દ્વારા સંપાની કિનારી ઢકાઈ જાય છે તે પૂવક यानी या नक्खालित्ता वा' मारामा २१ ARL लियो यवी, 'घमियावा' धूमस यो-(धुभावना वां, नातवाना वा तरतो सभ तेने धुभस छ) 'मरियार या' स पापा बनीभूत ना साना २ ५.३-४२॥ ५४ा, 'रयग्यापति या धगधा संधी शिानी सारित वी, 'चंदोषरागाइ पा' ५ ५ ५ 'सरोवरागाइ पा'
SR No.009313
Book TitleBhagwati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size37 MB
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