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________________ ७७२ भगरतीय भभम् 'जाम' नाम, 'महायिमाणे महापिमानम् 'पणते ?" ममतम् ? पस्मिन् स्थाने पर्वते ' भगवानाह-'गोयमा ! 'जयुतीये दी' जम्बूद्वीपे डीपे 'मदरम्स पन्चयस्स' मन्दरस्य पर्वतम्य मरुपर्वतस्य 'दारिणेण दक्षिणे भागे खलु 'इमी से रयणप्पमाए पुटचोए' अस्या रत्नममाया एशिया 'बहु समरमणि जाओ' यह समरमणीयाद् अत्यन्त समतारमणीयात् 'भूमिमागाओ' भूमि मागान 'टड्द' उध्वम् उपरि 'चदिम-गग्यिगगण-नरवत-धारास्वाम' चन्द्रम -मृय -प्रागण-नक्षत्र-तारास्पाणाम् 'यहा जोयणाई' यानि योजनानि कर्वम् उपरिगते सति 'जार पच बदेसिया' यावत्-पत्र अश्तसका श्रेष्ठ विमानानि 'पप्णता प्राप्ता । यावत्पदेन-वहा जोयणमयाइ, बहर जोयण मराविमाणे' सध्याप्रम नामका विमान 'कहिण पण्णते' किस स्थान पर है ? इसका उत्तर देते हुए भगवान् गौतमसे करते हैं कि 'गोयमा' हे गौतम ! जघुड़ीवे दीवे' जबूटीप नामका जो यह प्रथम दी है इममें एक 'मदरस्म पश्चयस्म' सुमेरु नामफा पर्वत इसके दाधिणेण' दक्षिणभागमें 'उमीसे रयणप्पमाए पुढवी जो यह रत्न प्रभा नामकी पृथिवी है इस पृथिवी के 'पष्टममरमणिबाओ' अत्यन्त समतल रमणीय भूमिभागाओ' भूमिभागसे 'उहट' ऊपर 'बदिम रिय-गहगण-नक्खत्त-तारारूषाण' चन्द्रमा, सूर्य, ग्रहगण, नक्षत्र एष तारास्वोंका सद्भावहै । पहां से 'पाइ जोयणाई' पाहत योजन ऊपर जाने पर जाव पच चसे सिया' यात पाच अवतसम-भेष्ठ विमान 'पण्णसा' है। यावत्' पदसे यहां 'याहर जोयणसपाइ, बहर उपाय Amaria 'महारपणो सोमस्स' मा सामर्नु (सणसे माम मामिमाणे सध्या नाभनु भविभान करिण पप्पासेल्याने ? पर --'गोपमा ! म ! 'मयूरी दीधे' भूE५ नमनार अयम ५ तमा 'मदरस्स पठषयस्स' अभेर नामना २ त तना को भी त२५ 'मीसे रयणप्पमाए पुटवीए' २ २लमा नामनी Yी ना यह समरमणिज्जामो भूमिमागो' म समतल भलीय मि माजी उर' 8५२ 'पदिम धरिय-गहगणनक्खच-सारापाण' A- स्था, AARA नाम वाशी मानछे सायबर जोपमा शन या 'माव पंचपरेंसिया पण्णता' या प ( निभाना) આવે છે અહી “માવવું પાણી નીને સૂપાઠ હક કામા અવ્યો છે.
SR No.009313
Book TitleBhagwati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size37 MB
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