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________________ ३७५ __ स्थानाङ्गो ३, सोयामणी ४, इंदा ५, घणविज्जुया ६। भूयाणंदस्स णं नाग. कुमारिंदस्त नागकुमाररण्णो छ अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तं जहा-रूवा १, रूवंसा २, सुरूवा ३, रूववई ४, रूवकंता , रूवप्पभा ६। जहा धरणस्स तहा सत्बेसि दाहिणिल्लाणं जाव घोसस्स । जहा भूयाणंदस्स तहा सव्वेसि उत्तरिल्लाणं जाव महाघोसस्त ॥ सू० ३५॥ छाया-धरणस्य खलु नागकुमारेन्द्रस्य नागकुमारराजस्य पड अग्रमहिप्यः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-आला १, शक्रा २, शतेरा ३, सौदामनी ४, इन्द्रा ५, घनविद्युत् ६। भूतानन्दस्य नागकुमारेन्द्रस्य नागकुमारराजस्य पड अग्रमहिण्यः प्रज्ञप्ताः, तद्यथारूपा १ रूपाँशा २, सुरूपा ३, रूपवती ४, रूपकान्ता ५, रूपप्रभा ६। यथा "धरणस्स ण नागकुमारिंदस्स नागकुमाररन्नो" इत्यादि सूत्र ३५॥ नागकुमारेन्द्र नागकुमारराज धरणका ६ अग्रमहिषियांकही गई हैं जैसे-आला १ शक्रा २ शतेरा ३ सौदामनी ४ इन्द्रा ५ और धनविघुत् ६ नागकुमारेन्द्र नागकुमारराजभूतानन्दकी छह अग्रसहिपियां कही गई हैं जैसे-रूपा १ रूपांशा २ सुरूगा ३ रूपयनी ४ रूपकान्ता ५ और रूपप्रभा ६ जिस प्रकार ले धरण की पट्टदेवियों के विषय में कहा गया है उसी प्रकार से समस्त दक्षिण दिशा के अधिपतियों का यावत घोष तक का कथन जानना चाहिये तथा जैसा कथन भूतानन्द की " घरणस्स णं नागकुमारिदस्स नागकुमाररन्नो" त्या નાગકુમારેદ્ર નાગકુમારરાય ધરણને ૬ અમહિષીઓ છે, તેમનાં નામ नीय प्रमाणे छ-(१) माता, (२) शzt, (3) शते।, (४) सौहामनी, (५) छन्द्रा भने (६) धनविद्युत् નાગકુમારેન્દ્ર નાગકુમારરાય ભૂતાનન્દને ૬ અગ્રમહિષીઓ છે તેમનાં नाम नाथे प्रभारी छ--(१) ३५ा, '(२) ३५॥शा, (3) सु३५, (४) ३५क्ती , (५) ३५४न्ता भने (६) ३५प्रमा. ઘોષ પર્યન્તના દક્ષિણ દિશાના સમરત અધિપતિઓની અગ્રમહિષીઓના વિષયમાં ધરણની અગ્રમહિષીઓના જેવું જ કથન સમજવું. મહાઘેષ પર્ય
SR No.009310
Book TitleSthanang Sutram Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1965
Total Pages773
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size43 MB
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