SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 481
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ બ્રા सुधां टोका स्था०२ उ०३ सू०३६ द्वीपसमुद्राणामिन्द्रनिरूपणम् | ३ | दो रक्खसिंदा पण्णत्ता, तं जहा भीसे चेव महाभीमे व | ४ | दो किन्नरिंदा पण्णत्ता, तं जहा- किन्नरे चेव किं पुरिसे चेव | ५| दो पुरिसिंदा पण्णत्ता, तं जहा सप्पुरिसे चेव महारिसे वेव | ६| दो महोरगिंदा पण्णत्ता, तं जहा अइकाए चेव महाकाए चैव । ७ । दो गंधविंदा पण्णत्ता, तं जहा - गीयरई चैव गीयजसे चैत्र । ८ । दो अणपनिंदा पण्णत्ता, तं जहा -- संनिहिए चैव सामण्णे चेव । १ । दो पणपनिंदा पण्णत्ता, तं जहा - धाए चैव विधाए चेव । २ । दो इसिवाइंदा पण्णत्ता, तं जहा - इसी चैव इसिवालए चेव | ३| दो भूयवाइंदा पण्णत्ता, तं जहा- -इसरे चैव महिसरे चेत्र || दो कंदिइंदा पण्णत्ता, तं जहा - सुवच्छे चैव विसाले चैव । ५। दो महाकंदि इंदा पण्णत्ता, तं जहा - हस्से चैव हस्तरई चेव । ६ । दो कुहंडिंदा पण्णत्ता, तं जहा - सेए चेत्र महासेसे चेव |७| दो परंगिंदा पण्णत्ता, तं जहा - पतए चेत्र पतयवई चैव ॥८॥ जोइसियाणं देवाणं दो इंदा पन्नत्ता, तं जहा - चंदे चेव सूरे चेव, सोहम्मीसाणेसु णं कप्पे दो इंदापन्नता, तं जहासक्के चैव इसा चेव । एवं सर्णकुमारमाहिंदेसु णं कप्पेसु दो इंदा पन्नता, तं जहा - सणकुमारे चेव साहिंदे चेव । बंभलोगलंतसु णं कप्पे दो इंदा पन्नता, तं जहा- वंभे चेव लंतए चेव । महासुक्क सहरसा रेसु णं कप्पेसु दो इंदापन्नत्ता, तं जहा - महासुक्के चैव सहस्तारे चेव । आणयपाणयारणच्चुएसु णं कप्पे दो इंदापन्नत्ता, तं जहा-पाणए चैव अच्चुए चेव ।
SR No.009307
Book TitleSthanang Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages706
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size41 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy