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________________ ફ स्थानासू , रम्य के १४, छे रमणीये १५, द्वे मङ्गलावत्यौ १६, द्वे पद्मे १७, द्वे सुपने १८, हे महा १९, द्वे पद्मावत्यौ २० मे शङ्खे २१, द्वे नलिने २२, द्वे कुमुदे२३, द्वे सलिलावत्यौ २४, द्वे मे २५, छे सुवप्रे२६, द्वे महात्रमे २७, देवमावत्यौ २८, द्वे वल्गू२९, द्वे सुबल्गू ३०, द्वे गन्धिले ३१, द्वे गन्धिलावत्यौ ३२, हे क्षेमे १, क्षेमपूर, रिप्टे३, द्वे रिपूर्यो४, हे खड्डचौ५, द्वे मंजूपे६, द्वौ औषध्या ७, द्वे पुण्डरिकियो ८, दे सुसीमे ९, द्वे कुण्डले १०, द्वं अपराजिते ११, द्वे भरे १२, द्वे अङ्कावत्यौ१३ दे पद्मावत्यौ १४ दे शुभे १५, द्वे रत्नसंचये १६ द्वे अत्रपुरे १७, द्वे सिंहपुरे १८, द्वे महापुरे १९, द्वे विजयपुरे २०, हे अपराजिते २१ द्वे अपरे२२, द्वे अशोके २३, द्वे विगतशो के २४, द्वे विजये २३, द्वे वैजयन्त्यौ २६, 'द्वे जयन्त्यौ२७, द्वे अपराजिते २८, द्वे चक्रपुरे२१, द्वे खड्गपुरे ३०, द्वे अवध्ये ३१ द्वे अयोध्ये ३२, द्वे भद्रशालवने, द्वे नन्दनवने, द्वे सौमनसवने, द्वे पण्डकत्रने, द्वे पाण्डुकम्बलशिले, द्वे अतिपाण्डुकम्बलशिले, द्वे रक्तकम्बलशिले, द्वे अतिरक्तकम्बलशिले, दो कुमुदा, दो सलिलावती, दो वप्रा, दो सुवप्रा, दो महावना, दो प्रका ''वती, दो बल्गू, दो सुवल्गू. दो गंधिला दो गंधिलावती, दो क्षेमा, दो क्षेमपुरी, दो रिष्टा, दो रिष्टापुरी, दो खड्गी, दो मंजूषा, दो औषधि, दो पुण्डरीकिणी, दो खुसीमा, दो कुण्डला, दो अपराजिता, दो प्रभङ्करा, दो अङ्कावती, दो पद्मावती, दो शुभा, दो रत्नसंचया, दो अश्वपुरा, दो सिंहपुरा, दो महापुरा, दो विजयपुरा, दो अपराजिता, दो अपरा, दो अशोका, दो विगतशोका, दो विजया दो वैजयन्ती, दो जयन्ती, दो अपराजिता, दो चक्रपुरा, दो खण्डपुरा, दो अवध्या, दो अयोध्या, दो भद्रशालनन, दो नन्दनवन, दो सौमनस्यवन, दो पण्डुरुवन, दो पाण्डुकम्बलशिला, दो अतिपाण्डुकम्बलशिला, दो रक्तकम्बलशिला, दो अतिरक्तकम्बलशिला, रमणीय, मे भगवती, मे पद्मा, मे सुपद्मा, में भडायझा, में पद्मावती, मे शय्या, मे नसिना, मे हुमडा, मे सविद्यावती, मे वप्रा, मेसुवा, मे भडावया मे वत्रावती, मे वहगु, मे सुत्रहगु, मे गंधिया, में घिसावती, में क्षेभा, में क्षेभपुरी, मेरिष्टा, मेरिष्टपुरी, मे जड्गी, મે भभूषा, મે योषधि, मे युडरीडियी, मे सुसीभा, मे कुंडला, मे अपरान्नता मे प्रल४२, थे अावती, थे पद्मावती मे शुला, मे रत्नस यया, मे अश्वपुरा, मे सिंहબે पुरा, मे भडापुरा, मे विश्यपुरा में अपराहिता, मे अपरा, जे अशोध, मे विगतशोध, मे विनया, मे वैन्यन्ती, जे भयन्ती, में अपरानिता, व्यपुरा, अड्युरा, में अवध्या, मे अयोध्या में लद्रशासवन, नन्दनवन, મ
SR No.009307
Book TitleSthanang Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages706
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size41 MB
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