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________________ सुधा डीका स्था० २ ० ३ सू० ३९ जम्बूद्वीपादीनां वेदिकानिरूपणम् ०४४१ धायईलंडस्स णं दविस्ल वेइया दो गाउयाई उड्डुं उच्चतेणं पण्णत्ता । कालोदस्स गं समुद्दल वेइया दो गाउयाई उच्चणं पण्णत्ता । पुक्खरवरदीवड्डपुरस्थिमद्धेणं मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणेणं दो वासा पण्णत्ता, बहुसमतुल्ला जाव तं जहा - भरहे चेत्र एखए चेव । तहेव जाव दो कुराओ पण्णत्ताओ तं जहा - देवकुरा चैव उत्तरकुरा चेत्र । तत्थ णं दो महई महालया महद्दुमा पण्णता तं जहा - कूडसामली चेव पउमरुत्रखे चैव । देवा गरुले चैव वेणुदेवे, पउमे चेव, जाव छविपि कालं पच्चणुभवमाणा विहरति । पुक्खरवरदीवडूपच्चत्थिमद्धेणं मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणेणं दो वासा पण्णत्ता तं जहा तहेव णाणत्तं कूडसामली चेव महापउमरुक्खे चेव, देवागले देव वेणुदेवे पुंडरीए चेव । पुक्खरवर दीव दीवे दो भरहाई, दो एरवयाई जाव दो मंदरा, दो मंदरचूलियाओ । पुक्खरवरस्स णं दोवस्त वेइया दो गाउयाई उ उच्चत्तेणं पण्णत्ता । सव्वेसिं पिणं दीवसमुद्दाणं वेइयाओ दो दो गाउयाई उडूं उच्चतेणं पण्णत्ताओ ॥ सू० ३५ ॥ छाया - जम्बूद्वीपस्य खलु द्वीपस्य वेदिका द्वे गव्यूती ऊर्ध्वमुच्चत्वेन जम्बूद्वीप के संबंध को लेकर ही अब सूत्रकार इसकी वेदिका आदि के स्वरूप के संबंध में कथन करते हैं-'जंबुद्दीवस्स णं दीवस्स' इत्यादि । सूत्रार्थ - जंबूद्वीप नाम के द्वीप की जो कि सब से पहिला और सब द्वीप समुद्रों के बीच में है अर्थात् जिसके द्वारा कोई द्वीप या समुद्र वेष्टित જબૂદ્રીપનુ કથન ચાલતું હાવાથી સૂત્રકાર તેની વેદિકા આદિના સ્વરૂપનું निपा १३ छे - " ज बुद्दीवस्स ण दीवरून " इत्यादि સૂત્રા-જીપ નામના દ્વીપ કે જે સૌથી પહેલા છે અને સઘળા દ્વીપસમુદ્રોની વચ્ચે છે-એટલે કે તેના દ્વારા કાઇ દ્વીપ અથવા સમુદ્ર પરિવષ્ઠિત थ ५६
SR No.009307
Book TitleSthanang Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages706
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size41 MB
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