________________
समयार्थवोधिनी टीका प्र. थु. अ. ९ धर्मस्वरूपनिरूपणम् मूलम् - साहणा खत्तिंगा वेस्ता चंडाला अडे वोक्कता ।
एसिया वेसिया सुंदा जे ये आरंभणिस्सिया ॥२॥ छाया - ब्राह्मणाः क्षत्रिया वैश्या चाण्डाला अथ वोक्कताः । एपिका वैशकाः शुद्रा ये चारम्म निःश्रिताः ॥ २ ॥ अन्वयार्थः - (माहणा खत्तिया वेस्पा ) ब्राह्मणाः क्षत्रिया वैश्याः ( चंडाला अदु वोक्कसा) चाण्डाला अथ चोकसाः - भवान्तरजातीया: ( एसिया वेसिया सुद्दा ) एषिकाः, एषितुं शीलं येषां ते मृगलुन्धकाः हस्तितापसाञ्च वैशिका:- अन्य वेपधारिणः तथा शूद्राः तन्तुवायादयः (जे य आरंभनिस्सिया ) ये चारम्भनिःश्रिताः यन्त्रपीडनादिभिराजीविकाकारिणः ||२||
"
'माहणा खन्तिया वेस्सा' इत्यादि ।
शब्दार्थ - 'माहणा खत्तिया वेस्सा- ब्राह्मणाः क्षत्रियाः वैश्याः ' ब्राह्मण क्षत्रिय और वैश्य 'चडाला अदु चोकसा- चाण्डालाः अथ वोक्कसा!' चाण्डाल और बोकस 'एसिया वेसिया सुद्दा - एषिकाः वैशिकाः शूद्राः' ऐषिक वैशिक और शूद्र 'जे य आरंभ निस्सिया- ये चारंभनिःश्रिताः' और जो आरम्भ में आसक्त रहने वाले प्राणी है वे दुःखरूप आठ प्रकार के कर्मो को छोडने वाले नहीं है ॥२॥
अन्वयार्थ - ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, चाण्डाल अथवा वुक्कस (अवानर जातीय) एषिक (शिकारी और हस्तितापस) वैशिक ( वेश धारण करने वाला) और शूद्र तथा अन्य जो भी आरंभ करने वाले हैं (वे सय वर बढाने वाले हैं) ॥२॥
'माहणा खप्तिया वेस्सा' धत्याहि
शब्दार्थ' -- 'माहणा खत्तिया वेस्खा - ब्राह्मणाः क्षत्रियाः वैश्यः' ग्राह्मण, क्षत्रिय मने वैश्य 'चंडाला - अदु बोकसाः' यांडास अने मोस 'एसिया वेसिया सुद्दा :एपिशः वैशिका शूद्रा' शेशि वैशिष्ट भने शूद्र 'जे य आरंभनिस्सिया- येचारमनि श्रिता' भने ? गाराम आरत रहेवावाजा आशियो छे, तेथेा દુખરૂપ આઠ પ્રકારના કર્માંને ઘેાડવાવાળા નથી, ારા
अन्वयार्थ - श्राह्मबु, क्षत्रिय, वैश्य, थोडास अथवा मुस (अवांतरलतीबाजा) मेशि४ (शिठारी भने इस्तितापस) वैशि ( वेश धारषु ४२वावाजा) અને શૂદ્ર તથા અન્ય જે કાઈ આરંભ કરવા વાળા હાય (તેઓ બધા જ કેર વધારનારાઓ છે. રા