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________________ मूत्रकृताङ्गसूत्रो अथासत्कार्यवादि बौद्धमतं दर्शयति-पंचखंधे इत्यादि । मूलम् पंच खंधे वयंतगे वोलो उ खणजोइणो अण्णो अण्णण्णो णेवाहु हेउयं च अहउयं ॥१७॥ -छायापश्च स्कन्धान् वदन्त्येके वालास्तु क्षणयोगिनः ।। अन्यमनन्यं नैवाहु हे तुकं च अहेतुकम् ॥१७॥ अन्वयार्थ(एगे) एके केचन (वाला उ) वालास्तु सदसद्विवेकविकला वौद्धमतानु यायिनः (पंच) पञ्चसंग्ख्यकान् (संधे) स्कन्धान्-रूप-वेदना विज्ञान-सञ्जाहोती है तो सर्वथा सत् कैसे हो सकता है ? अतएव आत्मा को कथंचित् नित्य और कथंचित् अनित्य और सत् असत्-कार्यवाद स्वीकार करना चाहिए अर्थात् द्रव्य रूप से सत् और पर्याय रूप से असत् कार्य की उत्पत्ति होती है ॥१६।। अब असत्कार्यवादी बौद्धमत को दिखलाते हैं-"पंचखं" इत्यादि शब्दार्थ-'पगे-एके कोई 'वाला उ-वालस्तु' सानी 'पंच-पञ्च' पांच 'खधेस्कन्धान्' कध 'वय ति-चन्ति' बताते है कहते हैं 'खणजोइणो क्षणयोगिन' क्षणमात्ररहने वाले है 'अण्णो-अन्यम्' पांच महाभूतों से अन्य 'अणण्णो-अनन्यम् तथा इससे अभिन्न 'हेउय-हेतुक' सकारण उत्पन्न 'च-च' तथा 'अहेउयं-अहेतुक' विनाकरण उत्पन्न आत्मा ‘णेवाहु-नेवाहु' नहीं होता हैं ॥१७॥ --अन्वयार्थकोई कोई सत् असत् के विवेकसे रहित बौद्धमत के अनुयायी अज्ञानी पांच स्कन्ध कहते हैं-(१) रूप (२) वेदना (३) विज्ञान (४) संता और હોય, તે સર્વથા સત્ કેવી રીતે હોઈ શકે? તેથી જ આત્માને અમુક દૃષ્ટિએ નિત્ય અને અમુક દૃષ્ટિએ અનિત્ય તથા સત્સ ત્ કાર્યવાદ સ્વીકાર કરે જોઈએ એટલે કે દ્રવ્યની અપેક્ષાએ અત્ અને પર્યાયની અપેક્ષાએ અગત્ કાર્યની ઊત્પત્તિ થાય છેગાથા ૧૬ वे सूत्रा मसला वाही योद्धमतनु विवचन ४२ छ- 'पच ख धे" त्यादि शहाथ-'पगे-एके' 'वाला उ-चालस्तु' मनानी 'पंच-पञ्च' पाय 'ख घेस्कन्धान्' ४५ 'वय ति-पदन्ति' ४ छ 'अण्णो-अन्यम्' पाय महाभूतो शिवाय सणण्णो-अनन्यम् मानाथी अन्य 'हे उय-हेतुकम्' स पन्न 'य-च' तथा 'अहेउय -अहेतुक' १२ विनात्पन्न मात्मा ‘णेवाहु-नेबाहु. 3ाता नथी ॥१७॥ मन्ययाथ - સત્ અચના વિવેથી રહિત અને બૌદ્ધમતના અનુયાયી એવા કેઈ કે અજ્ઞાની લાકે પાચ અન્વનું પ્રતિપાદન કરે છે. તે પાચ ના નામ નીચે પ્રમાણે છે (૧)
SR No.009303
Book TitleSutrakrutanga Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages701
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sutrakritang
File Size38 MB
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