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________________ - ... . . , , , अब लमविचार:- .... .. .. निष्क्रमणे मिथुन-सिंह-कन्या-पथिक-धनु-मकर-कुम्भ-मीनानि लपानि शुभानि । अन्यानि पत्यारि वर्जनीयानि । . . . . . . . . . . (९) ग्रहविचार:- . . . . . ... दीक्षालग्ने शनवरं मध्यमवलं, गुरु बलीयांसं, शुक्र बलहीनं विधाय दीक्षा देया। द्वितीये, पञ्चमे, पप्ठे, सप्तमे, एकादशे स्थाने निर्मध्यमवली भवति । त्रिकोणे केन्द्र एकादशे च स्थानेऽवस्थितो गुरुयलीयान् भवति ।, उतीये, पाठ, नयमे, द्वादशे च स्थाने स्थितः शुक्रो बलहीनो भवति, अत एव शुक्रास्तेऽपि दीक्षा ग्राहोति संप्रदायविदः । (८) लग्न-विचारदीक्षा अङ्गीकार करने में-मिथुन, सिंह, कन्या, वृश्चिक, धनु, मकर, कुम्भ और मीन, लग्न शुभ हैं। शेष चार वर्जनीय हैं। (९)ग्रह-विचारदीक्षालग्न में शनैश्वर मध्यम बल वाला, गुरु बलशाली और शुक्र बलहीन हो तो दीक्षा देनी चाहिए । दूसरे पांचवें, छठे, सातवें और ग्यारहवें स्थान में शनि मध्यम बल वाला होता है। त्रिकोण में केन्द्र में और ग्यारवें स्थान में रहा हुआ, गुरु (बृहस्पति.) बलशाली समझा जाता है । तीसरे, छठे, नौवें और ग्यारहवें स्थान में स्थित शुक्र निर्बल होता है । अत एव शुक्र का अस्त होने पर भी दीक्षा ग्रहण करना प्रशस्त माना गया है,. ऐसा कई आचार्यों का कथन है। (८) MP-विधार.. ... . । । દીક્ષા અંગીકાર કરવામાં મિથુન, સિંહ, કન્યા, વૃશ્ચિક, ધનુ, મકર, કુંભ અને भीन-सन शुर छ. All AIR Clarय छे. . (e)-वियाः . . . દીક્ષાલનમાં શનૈશ્ચર મધ્યમ બળવાળો ગુરૂ બલશાળી અને શુક બલહીન હોય તો દીક્ષા આપવી જોઈએ, બીજા, પાંચમ, છઠા, સાતમા અને અગિઆરમા સ્થાનમાં શનિ મધ્યમ બળવાળે હેય છે, ત્રિકોણમાં કેન્દ્રમાં અને અગિઆરમાં स्थानमा रहेसो १ (पति), Acी सभामा भाव, छ. .....
SR No.009301
Book TitleAcharanga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1958
Total Pages915
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size25 MB
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