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________________ मन:स्थिरीकरणप्रकरणम् उद्धरण गा.क्र. स्थल कर्ता ५१ षडशीतिकबृहद्वृत्तिः,पञ्चसङ्ग्रहमूलटीका यद्यपि चासझिपर्याप्तापर्याप्तौ लक्खं सुराण अहियं लहू अंतमुहू गुरुअं १५ विचारसप्ततिका-७४ महेन्द्रसूरिअञ्चलगच्छीय(स्वयं) ५५ सुधर्मास्वामी (स्वयं) (स्वयं) श्यामाचार्य श्यामाचार्य २५ जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण वणस्सइकाइएण भंते! वणस्सइ जीवाभिगम प्र.५, सूत्र-२२८, जीवाभिगम प्र.१, सूत्र-४३ विगलेसु दुज उपवन्नो आवश्यक विविहा व विसिट्ठा वा वीसंतिसिक्काओ सोल वीसिसु इगविगलमणा सत्तंस ७६ वेउव्वियसमुग्घाएणं समोहन्नइ सम १२३ वेयणासमुग्धाए णं भंते ! कइ समईए १२३ प्रज्ञापना पद-३६, सूत्र२०८७ वैक्रियाहारकतैजस संखावत्ता णं जोणी इत्थि ४२ प्रज्ञापना पद-९, सू.१५३,म.पृ.-२२८ संघायणपरिसाडो संवरविणिज्जराओ मुक्खस्स पहो १६८ ध्यानशतकम्-९६ संवरविनिज्जराओ ध्यानशतकम्-९७ संवुडजोणि सुरेगिदिनारया ४२ लघुसङ्ग्रहणी सइरिसु इगविगलमणा ७६ सन्नीणमभव्वाणं भव्वाणं वि समवन्नाइ समे या बहवोवि ३८ प्रवचनसारोद्धार-९७० सम्मत्तवेयणिज्जस्स पुच्छा प्रज्ञापना पद-२३, सूत्र-१७०० सम्मइंसणसहिओ महेन्द्रसूरिसम्मामिच्छत्तवेयणिजस्स जहन्नेणं ७६ सम्मुच्छिमाण वि पंच ३० सङ्ग्रहणिमूलटीका सम्मे लद्ध अंतसुह समहिय छावट्ठि ७६ सरीरगा पडागासंठिया ६५ जीवाभिगम प्र.१, सूत्र-२६ सरीरगा सूइकलावसंठिया ६५ जीवाभिगम प्र.१, सूत्र-२४,२५ सव्वत्थ सावसेसे मग्गिल्ले लग्गइ १५८ सव्वत्थवि समसुन्नावगमे सव्वस्स उण्हसिद्धं २५ प्र.पृ.४०९ सव्वासु वट्टमाणा ध्यानशतक-४० (स्वयं) (स्वयं) नेमिचन्द्रसू. अञ्चलगच्छीय(स्वयं) (स्वयं) हरिभद्रसूरि (स्वयं) सुधर्मास्वामी सुधर्मास्वामी ७६ (स्वयं) जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण
SR No.009261
Book TitleMan Sthirikaran Prakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVairagyarativijay, Rupendrakumar Pagariya
PublisherShrutbhuvan Sansodhan Kendra
Publication Year2015
Total Pages207
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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