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________________ १०४ उद्धरण चउदसिगिगविगलमणा पंचसो चउयाले पयडिसए गुरूयं तं चऊयालं पगडिसए इगविगला चतुरिंदियाणां सागरसयस्स चत्तासिगविगलमणा सगं च्छेवट्ट संघयणी छग्गब्भतिरिनराणं संमुच्छ छच्चेव संघयणा छण्ह वि सममारंभो छव्विहसंठिया छव्विहसंठिया पण्णत्ता छेवट्टं सोगारइ भयकुच्छ जच्चिय देहावत्था जणवयसम्मयठवणा जत्थुस्सेहंगुलओ जमिह निकाइय तित्थं तिरियभवे जलथलउरभुयपक्खिसु तणुमाण जलमिव पसंतकलुसं जह चिरसंचियमिंधण जह चिरसंचियमिंधणमनलो जह जंबुपायवेगो जह रोगामयसमणं जह रोगासयसमणं विसोसण जह वा घणसंघाया जह वा घणसंघाया खणेण जह सो झाइ समत्था जीवं जा गठि ता पढमं जाव दुपओ जं सयं जाव सावेक्खो पुव्वं भीय जिणभुवणकारणविही जे णं बेंदिया आभिणि गा.क्र. ७६ ७६ ७६ ७७ ७६ ६१ ६१ ६१ ३१ ६५ ६५ ७६ ३ १७ २५ u z w w w w w I 2. १५ २ १६८ २६ २ १६८ १६८ १६८ १५ १७ १७ १७ २३ स्थल प्रज्ञापना पद - २३, सूत्र - १७२५ जीवाभिगम प्र. १, सूत्र - २८, ३५ लघुसङ्ग्रहणी-बृहत्सङ्ग्रहणी- १६१ जीवाभिगम प्र. १, सूत्र - ४१ विचारपञ्चाशिका - ३७, विचारसप्ततिका-४६ जीवाभिगम प्र. १, सूत्र - ४१ जीवाभिगम प्र. १, सूत्र - ३८ ध्यानशतक- ३९ प्रज्ञापना - १९४, स्थानाङ्ग- १५०, दशवैकालिक निर्युक्ति-२ 5- २७३ विशेष - णवतिः-८, स्थानांग - २६५ पञ्चसङ्ग्रह - २५१ ध्यानशतक - १०१ ध्यानशतकम् - १०१ प्रतिक्रमणभाष्य,संबोधप्रकरणम्-१२८३ ध्यानशतकम् - ९६, १०० ध्यानशतकम् - १०० ध्यानशतकम् - १०२, १०३ ध्यानशतकम् - १०२ ध्यानशतकम् - ९८ विशेषावश्यकभाष्यम् -१२०३ आवश्यकचूणि आवश्यकचूर्णि पञ्चाशक- ३०३ प्रज्ञापनापद - २९, सूत्र - १९३२ मनःस्थिरीकरणप्रकरणम् कर्ता (स्वयं) (स्वयं) (स्वयं) श्यामाचार्य (स्वयं) सुधर्मास्वामी जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण सुधर्मास्वामी सुधर्मास्वामी सुधर्मास्वामी (स्वयं) जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण श्यामार्य, सुधर्मास्वामी, शय्यंभवसू. जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण हरिभद्रसू. श्यामाचार्य
SR No.009261
Book TitleMan Sthirikaran Prakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVairagyarativijay, Rupendrakumar Pagariya
PublisherShrutbhuvan Sansodhan Kendra
Publication Year2015
Total Pages207
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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