SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 550
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जयमाला Jayamālā (दोहा छन्द-जमकपद तथा लाटानुबंधन) बाहर भीतर के जिते, जाहर अर दुःखदाय । ता हर-कर अर-जिन भये, साहर - शिवपुर-राय |१| राय-सुदरशन जासु पितु, मित्रादेवी - माय । हेमवरन-तन वरष वर, नव्वै सहन सु आय |२| (dōhā chanda-jamakapada tathā lātānubandhana) Bāhara bhītara ke jite, jāhara ara du:Khadāya | Tā hara-kara ara-jina bhayē, sāhara-śivapura-rāya |1| Rāya-sudaraśana jāsu pitu, mitrādēvī-māya| Hēmavarana-tana varasa vara, navvai sahana su āya |2| (छन्द तोटक - वर्ण १२) जय श्रीधर श्रीकर श्रीपति जी, जय श्रीवर श्रीभर श्रीमति जी । भव- भीम-भवोदधि-तारन हैं, अरनाथ नमूं सुखकारन हैं | ३| गरभादिक-मंगल सार धरे, जग-जीवनि के दुःखदंद हरे । कुरुवंश - शिखामनि तारन हैं, अरनाथ नमूं सुखकारन हैं |४| करि राज छखंड-विभूति मई, तप धारत केवलबोध ठई । गण-तीस जहाँ भ्रमवारन हैं, अरनाथ नमूं सुखकारन हैं |५| भवि - जीवन को उपदेश दियो, शिव-हेत सबै जन धारि लियो । जग के सब संकट-टारन हैं, अरनाथ नमूं सुखकारन हैं | ६ | कहि बीस-प्ररूपन सार तहाँ, निज-शर्म-सुधारस-धार जहाँ । गति-चार हृषीपन धारन हैं, अरनाथ नमूं सुखकारन हैं|७| षट्-काय तिजोग तिवेद मथा, पनवीस कषा वसु-ज्ञान तथा । सुर संजम-भेद पसारन हैं, अरनाथ नमूं सुखकारन हैं |८| रस दर्शन लेश्या भव्य जुगं, षट् सम्यक् सैनिय भेद-युगं । 550
SR No.009252
Book TitleJin Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages771
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy