SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 23
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आज की इस दुनीयाँ मे कितना फैला है भ्रष्टाचार आज की इस दुनीयाँ मे कितना फैला है भ्रष्टाचार ये केसा कलयुग आया है मानव ही मानव पर देखो कर रहा प्रहार ये केसा कलयुग आया है आज की इस दुनिया मे --- 1 जिन मात पिता ने पाला पोषा, भुल गये है आज उन्हिको उनके ऐहसानो के बदले, मार रहे है धक्के उनको उन्हिके घर से उनको ही, कर रहे बेघर, ये केसा कलयुग ---- आज की इस दुनीयाँ मे --- २ जो भाई कभी न झगड़ ते थे, झगड़ रहे है आज वो कितने जमीन जायदाद के खातिर देखो, लड़ रहे है आज वो कितने भुला दीया है आज उन्होनो बचपन का सब प्यार, ये केसा कलयुग ---- आज की इस दुनीयाँ मे ------------ ३ मोह माँया मे हो गये अन्धे, लगने लगे अपने भी पराये कोन है भाई कोन बहन है, भान रहा ना अब कीसी को अपनो से ही कर रहे हे, बे ढंगा व्यवहार, ये केसा कलयुग ---- आज की इस दुनीयाँ मे कीतना फैला है भ्रष्टाचार ये केसा कलजुग आया है, मानव ही मानव पर देखो कर रहा प्रहार ये केसा कलजुग आया है (तर्ज - देख तेरे संसार की हालत ------ ) 23
SR No.009246
Book TitleJain Bhajan Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages78
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy