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________________ श्री चौबीस भगवान की आरति ऋषभ अजित संभव अभिनन्दन, सुमति पद्म सुपार्श्व की जय-2 महाराज की श्रीजिनराज की, दीनदयालकी आरती की जय | चन्द्र पुष्प शीतल श्रेयांस, वासुपूज्य महाराज की जय-2 महाराज की श्रीजिनराज की, दीनदयाल की आरती की जय | विमल अनन्त धर्म जस उज्ज्वल, शांतिनाथ महाराज की जय-2 महाराज की श्रीजिनराज की, दीनदयाल की आरती की जय | कुन्थअरह और मल्लि मुनिसुव्रत, नमिनाथ महाराज की जय-2 महाराज की श्रीजिनराज की, दीनदयाल की आरती की जय | नेमिनाथ प्रभु पार्श्व जिनेश्वर, वर्धमान महाराज की जय-2 महाराज की श्रीजिनराज की, दीनदयाल की आरती की जय | इन चौबीसों की आरती करके, आवागमन निवार की जय-2 महाराज की श्रीजिनराज की, दीनदयाल की आरती की जय | 78
SR No.009245
Book TitleJain Arti Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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