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________________ श्री पारसनाथ भगवान की आरती (2) ॐ जय पारस स्वामी, प्रभु जय पारस स्वामी। वाराणसि में जन्में, त्रिभुवन में नामी।।ॐ जय.॥ अश्वसेन के नंदन, वामा के प्यारे।।माता वामा....... तेइसवें तीर्थंकर-२, तुम जग से न्यारे।।ॐ जय.॥१॥ वदि वैशाख दुतीया, गर्भकल्याण हुआ।स्वामी..... पौष कृष्ण एकादशि-२, जन्मकल्याण हुआ||ॐ जय.।।२।। जन्मदिवस ही दीक्षा, धारण की तुमने।स्वामी...... बालब्रह्मचारी बन-२, तप कीना वन में।।ॐ जय.॥३॥ कमठासुर ने तुम पर, घोर उपसर्ग किया।स्वामी. अहिच्छत्र में तुमने-२, पद कैवल्य लिया।।ॐ जय.॥४॥ श्री सम्मेदशिखर पर, मोक्षधाम पाया।स्वामी..... मोक्षकल्याण मनाकर-२, हर मन हरषाया।।ॐ जय.॥५॥ ___ परमसहिष्णु प्रभू की, आरति को आए।स्वामी...... यही “चंदनामती” अरज है-२, तव गुण मिल जाएं।।ॐ जय.॥६।। 46
SR No.009245
Book TitleJain Arti Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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