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________________ श्री शांतिनाथ की आरती शांतिनाथ भगवान की हम आरती उतारेंगे। आरती उतारेंगे हम आरती उतारेंगे आरती उतारेंगे हम आरती उतारेंगे शांतिाथ भगवान.. हस्तिनापुर में जनम लिये हे प्रभु देव करे जयकारा हो । जन्म महोत्सव करें कल्याणक, नाचे झूमे गाये हो ॥ ऐसे अवतारी की अब हम आरती उतारेंगे। शांतिनाथ भगवान की हम आरती उतारेंगे। धन्य है माता ऐरा देवी तुम्हें जो गोद उठाई है। विश्वसेन के कुलदीपक ने ज्ञान की ज्योति जगाई है। ऐसे अवतारी की अब हम आरती उतारेंगे। शांतिनाथ भगवान की हम आरती उतारेंगे। पंचम चक्रवर्ती पद पाये, जग सुख बढा अपार था। द्वादस कामदेव अति सुन्दर जग में बढा ही नाम था। ऐसे अवतारी की अब हम आरती उतारेंगे। शांतिनाथ भगवान की हम आरती उतारेंगे। शांति नाथ प्रभु शांति प्रदाता शुचिता सुख अपार दो। जनम-मरण दुःख मेटो प्रभुजी लेना शरण में आप हो । ऐसे अवतारी की अब हम आरती उतारेंगे। शांतिनाथ भगवान की हम आरती उतारेंगे 34
SR No.009245
Book TitleJain Arti Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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