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________________ श्री शीतलनाथ भगवान की आरती (1) ___ ॐ जय शीतलस्वामी, प्रभु जय शीतलस्वामी। घृतदीपक से करूँ आरती, तुम अन्तर्यामी।।ॐ जय.॥ भद्दिलपुर में जन्म लिया प्रभु, दृढ़रथ पितु नामी।।स्वामी.।। मात सुनन्दा के नन्दा तुम, शिवपथ के स्वामी।।ॐ जय.॥१॥ ___ जन्म समय इन्द्रों ने, उत्सव खूब किया।।स्वामी.।। मेरू सुदर्शन ऊपर, अभिषव खूब किया।।ॐ जय.।।२।। पंचकल्याणक अधिपति, होते तीर्थंकर।।स्वामी.।। तुम दसवें तीर्थंकर, हो प्रभु क्षेमंकर।।ॐ जय.॥३।। अपने पूजक निन्दक के प्रति, तुम हो वैरागी।।स्वामी.।। केवल चित्त पवित्र करन निज, तुम पूजें रागी।।ॐ जय.।।४।। चन्दन मोती माला आदी, शीतल वस्तु कहीं।।स्वामी.॥ चन्द्ररश्मि गंगाजल में भी, शाश्वत शान्ति नहीं।।ॐ जय.।।५।। पाप प्रणाशक शिव सुखकारक, तेरे वचन प्रभो।स्वामी.॥ आत्मा को शीतलता शाश्वत, दे तव कथन विभो।।ॐ जय.॥६॥ जिनवर प्रतिमा जिनवर जैसी, हम यह मान रहे।।स्वामी.।। प्रभो “चन्दनामति'' तव आरति, भव दुख हानि करे।।ॐ जय.॥७॥ 27
SR No.009245
Book TitleJain Arti Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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