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सिद्धायिनी माता की आरती (इसमें किसी भी देवी का नाम लेकर उनकी आरती कर सकते हैं) जय जय हे सिद्धायिनि मात, तेरे चरण नमाते माथ
तेरी आरति से मिटता है जग संताप ॥ तेरे भक्त खड़े तेरे द्वार, बिगड़े सभी बनातीं काज तेरी आरति से मिटता है जग संताप ॥टेक.॥
महावीर प्रभु की तुम हो शासन देवी। भक्तों की पीड़ा तुम तो क्षण भर में हरतीं। हे जिनशासन रक्षाकत्री, तुम त्रैलोक्यपूज्य हो मात। तेरी आरति से मिटता है जग संताप ॥१॥
मातंग यक्ष की प्रियकारिणी हो। वंचन सी काया तेरी सुखकारिणी हो।। भक्ति भाव से आए द्वार. मिल जाएगी शांति अपार।
तेरी आरति से मिटता है जग संताप ॥२॥ भूत, प्रेत आदिक बाधा क्षण भर में हरतीं। पुत्र, पौत्र, धन धान्यादिक से झोली भरतीं ।। तेरी सुन्दर छवि है मात, मैय्या तेरा दिव्य प्रताप। तेरी आरति से मिटता है जग संताप ॥३।।
हे सच्ची माता सच्चा मारग दिखा दे।
जग भर के प्राणी को तु सुखमय बना दे।। सबको मिल जाए नवराह, मैय्या ऐसी ज्योति जगाए। तेरी आरति से मिटता है जग संताप ॥४॥
वीरा के भक्तों पे जब संकट आवे।
झट आके माता मेरी उसको बचावे।। ‘इन्दू' करती तव गुणगान, मैय्या तू है बड़ी महान।
तेरी आरति से मिटता है जग संताप ॥५।।
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