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________________ जय आसन नानाभाँति धार, उपसर्ग सहत ममता निवार ॥ जय जपत तिहारो नाम जोय, लख पुत्र पौत्र कुल वृद्धि होय । जय भर लक्ष अतिशय भण्डार, दारिद्रतनो दुःख होय छार ।। जयचोर अग्नि डाकिन पिशाच, अरु ईति भीति सब नसत सांच। जय तुम सुमरत सुख लहत लोक, सुर असुर नमत पद देत धोक ॥ (रोला छन्द) ये सातों मुनिराज, महातप लक्ष्मी धारी। परम पूज्य पद धरै सकल जग के हितकारी ॥ जो मन वचन तन शुद्ध होय सेवे औ ध्यावै । सो जन मनरंगलाल, अष्ट ऋद्धिनकौं पावै ॥ (दोहा) नमन करत चरनन रत, अहों गरीब निवाज । पञ्च परावर्तननितें, निरवारो ऋषिराज ॥ ॐ ह्रीं श्रीमन्वादिसप्तर्षिभ्यः पूर्णायँ निर्वपामीति स्वाहा । ॥ इत्याशीर्वादः पुष्पांजलि क्षिपामि ॥ 769
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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