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________________ केसर चन्दन लीजिये, संग कपूर घसाय । अलि पंकति आवत घनी, वास सुगन्ध सुहाय ॥ क्षमा गहो उर जीवड़ा, जिनवर - वचन गहाय । ॐ ह्रीं अष्टांगसम्यग्दर्शन-अष्टांगसम्यग्ज्ञान-त्रयोदशविध सम्यक् चारित्रेभ्यो नमः चन्दनं निर्वपामीति स्वाहा। शालि अखण्डित लीजिये, कंचन थाल भराय । जिनपद पूजों भाव सौं, अक्षत पद को पाय ॥ क्षमा गहो उर जीवड़ा, जिनवर - वचन गहाय । ॐ ह्रीं अष्टांगसम्यग्दर्शन-अष्टांगसम्यग्ज्ञान-त्रयोदशविध सम्यक्-चारित्रेभ्यो नमः अक्षतान् निर्वपामीति स्वाहा । पारिजात अरु केतकी, पहुप सुगन्ध गुलाब । श्रीजिनचरण सरोज कूँ, पूज हर्ष चित चाव ॥ क्षमा गहो उर जीवड़ा, जिनवर - वचन गहाय । ॐ ह्रीं अष्टांगसम्यग्दर्शन-अष्टांगसम्यग्ज्ञान- त्रयोदशविध सम्यक् चारित्रेभ्यो नमः पुष्पं निर्वपामीति स्वाहा। शक्कर घृत सुरभी तना, व्यजन षट्-रस स्वाद । जिनके निकट चढ़ाय कर, हिरदे धरि आह्लाद ॥ क्षमा गहो उर जीवड़ा, जिनवर - वचन गहाय । ॐ ह्रीं अष्टांगसम्यग्दर्शन-अष्टांगसम्यग्ज्ञान-त्रयोदशविध सम्यक् चारित्रेभ्यो नमः नैवेद्यं निर्वपामीति स्वाहा। 761
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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