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________________ क्षीरोदधी के फेन सम सित तंदुलों को लायके । उत्तम अखंडित सौख्य हेतु, पुंज नव सुचढ़ायके ॥ नवदेवताओं की सदा जो भक्ति से अर्चा करें। सब सिद्धि नवनिधि रिद्धि मंगलपाय शिवकांता वरें ॥ ३ ॥ ॐ हीं अर्हत्सिद्धाचार्योपाध्यायसर्वसाधुजिनधर्म जिनागम जिनचैत्य चैत्या-लयेभ्यो अक्षयपद प्राप्तये अक्षतं निर्वपामीति स्वाहा । चम्पा चमेली केवड़ा, नाना सुगंधित ले लिये। भव के विजेता आपको,पूजत सुमन अर्पण किये ॥ नवदेवताओं की सदा जो भक्ति से अर्चा करें। सब सिद्धि नवनिधि रिद्धि मंगलपाय शिवकांता वरें ॥ ४ ॥ ॐ ह्रीं अर्हत्सिद्धाचार्योपाध्यायसर्वसाधुजिनधर्म जिनागम जिनचैत्य चैत्या-लयेभ्यो कामबाण विध्वंसनाय पुष्पं निर्वपामीति स्वाहा । पायस मधुर पकवान मोदक, आदि को भर थाल में । निज आत्म अमृत सौख्य हेतु पूजहूँ नतभाल मैं ॥ नवदेवताओं की सदा जो भक्ति से अर्चा करें। सब सिद्धि नवनिधि रिद्धि मंगलपाय शिवकांता वरें ॥ ५ ॥ ॐ ह्रीं अर्हत्सिद्धाचार्योपाध्यायसर्वसाधुजिनधर्म जिनागम जिनचैत्य चैत्या-लयेभ्यो क्षुधा रोग विनाशनाय नैवेद्यं निर्वपामीति स्वाहा । कर्पूर ज्योति जगमगे दीपक लिया निज हाथ में । तुम आरती तमवारती, पाऊँ सुज्ञान प्रकाश मैं ॥ नवदेवताओं की सदा जो भक्ति से अर्चा करें। सब सिद्धि नवनिधि रिद्धि मंगलपाय शिवकांता वरें ॥ ६ ॥ ॐ ह्रीं अर्हत्सिद्धाचार्योपाध्यायसर्वसाधुजिनधर्म जिनागम जिनचैत्य चैत्या-लयेभ्यो मोहांधकार विनाशनाय दीपं निर्वपामीति स्वाहा । 729
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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