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________________ कृष्णागरु-धूप-सुवास, दश-दिशि नारि वरै । अति हरष-भाव परकाश, मानो नृत्य करै । नंदीश्वर द्वीप महान्, चारों दिशि सोहें। बावन जिनमंदिर जान, सुर-नर मन मोहें।। ॐ ह्रीं श्रीनन्दीश्वरद्वीपे द्विपञ्चाशज्जिनालयस्थजिनप्रतिमाभ्यो अष्टकर्मदहनाय धूपं निर्वपामिति स्वाहा।। बहुविधि फल ले तिहुँ काल, आनन्द राचत हैं। तुम शिव-फल देहु दयाल, तुहिं हम जाचत हैं। नंदीश्वर द्वीप महान्, चारों दिशि सोहें। बावन जिनमंदिर जान, सुर-नर मन मोहें।। ॐ ह्रीं श्रीनन्दीश्वरद्वीपे द्विपञ्चाशज्जिनालयस्थजिनप्रतिमाभ्यो मोक्षफलप्राप्तये फलं निर्वपामिति स्वाहा। यह अरघ कियो निज-हेत, तुमको अरपतु हो । द्यानत कीज्यो शिव-खेत, भूमि समरपतु हो । नंदीश्वर द्वीप महान्, चारों दिशि सोहें। बावन जिनमंदिर जान, सुर-नर मन मोहें। ॐ ह्रीं श्रीनन्दीश्वरद्वीपे द्विपञ्चाशज्जिनालयस्थजिनप्रतिमाभ्योअनर्घ्य-पदप्राप्तये अर्घनिर्वपामिति स्वाहा। जयमाला दोहा - कार्तिक फाल्गुन, साढ के अन्त आठ दिन माहिं । नन्दीश्वर सुर जात हैं, हम पूर्जे इह ठाहिं ॥ स्त्रग्विणी छन्द एक सौ त्रेसठ कोडि जोजन महा। लाख चौरासिया एक दिश में लहा ॥ आठमों दीप नन्दीश्वरं भास्वरं । भौन बावन्न प्रतिमा नमों सुखकरं ॥१॥ चार दिशि चार अंजनगिरी राजहीं। 726
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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