SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 672
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जग को अथिर जान छाया मन में वैराग्य महान। मंगसिर कृष्णा दशमी के दिन तप हित किया प्रयाण।। धन्य तुम महावीर भगवान् धन्य तुम वर्द्धमान भगवान्। ऊँ ह्रीं मंगसिरकृष्णा-दशमीदिने तपकल्याण-प्राप्ताय श्रीमहावीरजिनेन्द्राय अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा।। शुक्ल ध्यान के द्वारा करके कर्म घाति अवसान। शभ बैसाख शक्ला दशमी को पाया केवलज्ञान।। धन्य तुम महावीर भगवान् धन्य तुम वर्द्धमान भगवान्। ऊँ ह्रीं वैशाखशुक्ला-दशमीदिने ज्ञानकल्याणक-प्राप्ताय श्रीमहावीरजिनेन्द्राय अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा।4। श्रावण कृष्णा एकम के दिन दे उपदेश महान। दिव्यध्वनि से समवशरण में किया विश्व-कल्याण।। धन्य तुम महावीर भगवान् धन्य तुम वर्द्धमान भगवान्। ऊँ ह्रीं श्रावणकृष्णा-एकमदिने दिव्यध्वनि-प्राप्ताय श्रीमहावीरजिनेन्द्राय अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा।51 कार्तिक कृष्ण अमावस्या को पाया पद निर्वाण। पूर्ण परम-पद सिद्ध निरंजन आदि अनन्त महान।। धन्य तुम महावीर भगवान् धन्य तुम वर्द्धमान भगवान्। ऊँ ह्रीं कार्तिककृष्णा-अमावस्यायां मोक्षपद-प्राप्ताय महावीरजिनेन्द्राय अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा।6। जयमाला जय महावीर त्रिशला-नन्दन जय सन्मति वीर सुवीर नमन। जय वर्धमान सिद्धार्थ-तनय जय वैशालिक अतिवीर नमन।। तुमने अनादि से नित्य निगोद के भीषण दुख को सहन किया। त्रस हुए कई भव के पीछे पर्याय मनुज में जन्म लिया।। पुरुरवा भील से जीवन से प्रारम्भ कहानी होती है। अनगिनति भव धारे जैसी मति हो वैसी गति होती है।। पुरुषार्थ किया पुण्योदय से तुम भरत-पुत्र मारीच हुए। मुनि बने और फिर भ्रमित हुए शुभ-अशुभ भाव के बीच हुए।। 672
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy