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________________ देवजीर सुखदास शुद्धवर सुवरन थार भराई । पुंज धरत तुम चरनन आगे, तुरित अखय-पद पाई।। वासुपूज्य वसुपूज-तनुज-पद, वासव सेवत आई। बालब्रह्मचारी लखि जिनको शिवतिय सनमुख धाई ।। ॐ ह्रीं श्रीवासुपूज्यजिनेन्द्राय अक्षयपद प्राप्तये अक्षतं निर्वपामीति स्वाहा। 3। पारिजात संतान कल्पतरु-जनित सुमन बहु लाई। मीनकेतु-मद भंजनकारन, तुम पदपद्म चढ़ाई।। वासुपूज्य वसुपूज-तनुज - पद, वासव सेवत आई। बालब्रह्मचारी लखि जिनको शिवतिय सनमुख धाई।। ऊँ ह्रीं श्रीवासुपूज्यजिनेन्द्राय कामबाण-विनाशनाय पुष्पं निर्वपामीति स्वाहा।4। नव्यगव्य आदिक रसपूरित, नेवज तुरत उपाई। क्षुधारोग निरवारन - कारन, तुम्हें जजों शिरनाई।। वासुपूज्य वसुपूज- तनुज - पद, वासव सेवत आई। बालब्रह्मचारी लखि जिनको शिवतिय सनमुख धाई || ॐ ह्रीं श्रीवासुपूज्यजिनेन्द्राय क्षुधारोग-विनाशनाय नैवेद्यं निर्वपामीति स्वाहा।5। दीपकजोत उदोत होत वर, दशदिश में छवि छाई । तिमिरमोहनाशक तुमको लखि, जजो चरन हरषाई || वासुपूज्य वसुपूज- तनुज - पद, वासव सेवत आई। बालब्रह्मचारी लखि जिनको शिवतिय सनमुख धाई ।। ॐ ह्रीं श्रीवासुपूज्यजिनेन्द्राय मोहान्धकार- विनाशनाय दीपं निर्वपामीति स्वाहा।6। 67
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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