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________________ बैसाख सुदी दश-मांहि घाती क्षय करना। पायो तुम केवल ज्ञान इन्द्रनि की रचना।। चांदनपुर के महावीर, तोरी छवि प्यारी। प्रभु भव-आताप निवार, तुम पद बलिहारी।। ऊँ ह्रीं बैसाखसुदी-दशमीदिने केवलज्ञान-मंडिताय श्रीमहावीरजिनेन्द्राय अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा।40 कार्तिक जु अमावस कृष्ण पावापुर ठाहीं। भयो तीनलोक में हर्ष पहुंचे शिव माँहीं।। चांदनपुर के महावीर, तोरी छवि प्यारी। प्रभु भव-आताप निवार, तुम पद बलिहारी।।5।। ॐ ह्रीं कार्तिककृष्णा-अमावस्यायां मोक्षमंगल-मंडिताय श्रीमहावीरजिनेन्द्राय अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा।5। जयमाला (दोहा) मंगलमय तुम हो सदा, श्री सन्मति सुखदाय। चांदनपुर महावीर की, कहूं आरती गाय।। (पद्धरि छन्द) जय-जय चांदनपुर महावीर, तुम भक्तजनों की हरत पीर। जड़-चेतन जग को लखत आप, दई द्वादशांग वानी अलाप।1। अब पंचम काल मंझार आय, चांदनपुर अतिशय दई दिखाय। टीले के अंदर बैठि वीर, नित झरा गाय का स्वयं क्षीर।2। ग्वाला को फिर आगाह कीन, जब दरसन अपना तुमने दीन। मूरति देखी अति ही अनूप, है नग्न दिगंबर शांतिरूप।3। तहां श्रावक जन बहु गये आय, किये दर्शन करि मन-वचन-काय। ___है चिन्ह शेर का ठीक जान, निश्चय है ये श्रीवर्द्धमान।4। सब देशन के श्रावक जु आय, जिन-भवन अनूपम दियो बनाय। फिर शुद्ध दई वेदी कराय, तुरतहिं रथ फिर लिये सजाय।5। 655
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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